कोपेनहेगन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि समावेशिता और सांस्कृतिक विविधता भारतीय समुदाय की शक्ति है जो हम सभी को हर पल जीवंत महसूस कराती है। भारतीयों के भीतर ये मूल्य हजारों वर्षों में विकसित हुए हैं। डेनमार्क में बसे भारतीय समुदाय (Indian Community) को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि सभी भारतीय (Indian) राष्ट्र की रक्षा के लिए साथ खड़े होते हैं और राष्ट्र निर्माण में हाथ बंटाते हैं। आगे की पंक्ति में बैठीं डेनमार्क (Denmark) की अपनी समकक्ष मेट फ्रेडेरिक्सन (Mate Frederickson) के साथ सभागार में ‘मोदी, मोदी’ और ‘मोदी है तो मुमकिन है’ के नारों के बीच प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कोई भारतीय दुनिया में जहां भी जाता है, ईमानदारी से अपनी कर्मभूमि अर्थात उस देश के लिए योगदान देता है।
मोदी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री फ्रेडेरिक्सन का यहां होना भारतीयों के प्रति उनके प्रेम और सम्मान का प्रमाण है।’ उन्होंने कहा, ‘कई बार जब में दुनिया के नेताओं से मिलता हूं तो वे गर्व से मुझे उनके देश में बसे भारतीय समुदाय की उपलब्धियों के बारे में बताते हैं।’ मोदी ने कहा कि विदेश में बसे भारतीयों की संख्या कुछ देशों की कुल आबादी से भी ज्यादा है। पीएम मोदी ने जलवायु को नुकसान पहुंचाने में भारत की भूमिका को नगण्य बताया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी को नुकसान पहुंचाने में भारतीयों की कोई भूमिका नहीं है और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम तो वो लोग हैं तो पौधे में भी परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नदी को मां मानते हैं।
हमारी हरित रणनीतिक साझेदारी प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, उनकी मूल्यों से गाइडेड है। आज उनके साथ मेरी जो चर्चा हुई है उससे दोनों देशों के संबंधों को नई ताकत मिलेगी, नई ऊर्जा मिलेगी। कोरोना के कारण बहुत समय तक सभी की लाइफ एक तरह से वर्चुअल मोड में ही चल रही थी। पिछले साल जैसे ही आवाजाही मुमकिन हुई तो प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन पहली हेड ऑफ गवर्नमेंट थीं जिनका हमें भारत में स्वागत करने का अवसर मिला। ये भारत और डेनमार्क के मज़बूत होते संबंधों को दिखाता है।
एक भारतीय दुनिया में कहीं भी जाए, वो अपनी कर्मभूमि और उस देश के लिए पूरी ईमानदारी से कंट्रीब्यूट करता है। अनेक बार जब मेरी विश्व नेता से मुलाक़ात होती है तो वे अपने देशों में बसे भारतीय समुदाय की उपलब्धियों के बारे में मुझे गर्व से बताते हैं। भाषा अनेक लेकिन भाव एक, भाषा कोई भी हो, लेकिन हम सभी के संस्कार भारतीय ही हैं। हमारी खाने की थाली बदल जाती है, स्वाद बदल जाता है। लेकिन स्नेह से बार-बार आग्रह करने का भारतीय तरीका नहीं बदलता।
उन्होंने कहा कि आज भारत जो कुछ भी हासिल कर रहा है, वो उपलब्धि सिर्फ भारत की नहीं है, बल्कि वो करीब वन-फिफ्थ ह्यूमेनिटी की उपलब्धि है। कल्पना कीजिए कि अगर भारत में हम वैक्सीनेशन को हर परिवार तक नहीं पहुंचा पाते, तो उसका दुनिया पर क्या असर होता?। अगर भारत मेड इन इंडिया, सस्ती और प्रभावी वैक्सीन पर काम ना करता, बड़े स्केल पर प्रोडक्शन ना करता, तो दुनिया के अनेक देशों की क्या स्थिति होती? भारत जब अपने नागरिकों को गरीबी से बाहर निकालता है तो दुनिया से गरीबी कम होती है।
लगभग 75 महीने पहले हमने स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम शुरू किया था। तब स्टार्ट अप इकोसिस्टम के रूप में हमारी गिनती कहीं नहीं होती थी। आज हम यूनिकॉर्न्स के मामले में दुनिया में नंबर-3 पर हैं।आज स्टार्ट अप्स के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम हिंदुस्तान है। जब मैंने डिजिटल इंडिया की बात की थी तो कुछ लोगों ने तरह-तरह के सवाल खड़े किए थे. ‘डिजिटल, भारत में?’ मैं कहना चाहता हूं कि 5-6 साल पहले हम प्रति व्यक्ति डेटा खपत के मामले में सबसे पिछड़े देशों में से एक थे। लेकिन आज स्थिति बदल गई है।
भारत की ताकत जब बढ़ती है तो दुनिया की ताकत बढ़ती है। फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की भूमिका में भारत ने मुश्किल समय में पूरी दुनिया का साथ दिया है, अनेकों देशों को दवाइयां भेजी हैं ताकि हम संकट के समय मानवता के इस काम में पीछे न रह जाए और दुनिया की मदद करते रहे। डेनमार्क भारत के श्वेत क्रांति में हमारे साथ था,अब हमारे ग्रीन फ्यूचर में मज़बूत साझेदार बन रहा है। हमारे बीच विद्युत गतिशीलता, ग्रीन हाइड्रोजन, सतत शहरीकरण, ग्रीन शिपिंग, विज्ञान, तकनीकी, नवाचार में सहयोग की अनंत संभावनाएं हैं।
डेनमार्क की PM मेटे फ्रेडरिक्सन ने कहा कि आज यहां आपके साथ आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं कि हम मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डेनमार्क में स्वागत करने में सक्षम हैं। एक बार फिर स्वागत है। मुझे भी बहुत खुशी है कि आज दोपहर हम आप सभी के साथ हैं। मुझे लगता है कि आज हम एक साथ दिखाते हैं कि हमारे बीच कितने मजबूत संबंध हैं-दोस्ती के, परिवारों के। यह सब कम से कम आप सभी की वजह से नहीं है। डेनमार्क में रहने वाले और डेनमार्क में काम करने वाले सभी भारतीयों को धन्यवाद, जिन्होंने डेनिश समाज में वास्तविक सकारात्मक योगदान दिया है। आप सभी का धन्यवाद।
मोदी ने फ्रेडेरिक्सन से उनके 18वीं सदी के आधिकारिक आवास मारिनबोर्ग पर मुलाकात की। यह एक पहाड़ी पर स्थित है और चारों ओर से घास के मैदान, हरी-भरी वादियों तथा झीलों से घिरा हुआ है। मोदी उनके साथ आवास के चारों ओर स्थित घास के मैदान पर भी टहले। डेनिश प्रधानमंत्री ने अपने मोदी को अपना आधिकारिक आवास भी घुमाया। वहां उन्होंने ओडिशा का एक पट्टचित्र लगा देखा, जो राम दरबार का चित्रण करता है। यह पट्टचित्र मोदी ने फ्रेडेरिक्सन को पिछले साल उनकी भारत यात्रा के दौरान उपहार में दिया था। यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली डेनमार्क यात्रा है।
डेनिश प्रधानमंत्री ने इससे पहले जर्मनी से यहां पहुंचने पर मोदी की हवाई अड्डे पर अगवानी की। प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्य भी मोदी का स्वागत करने के लिए पारंपरिक वेशभूषा में हवाई अड्डे पर आए थे। मोदी ने जब यहां भारतीय समुदाय से संवाद किया तो उस वक्त डेनिश प्रधानमंत्री भी मौजूद थीं। फ्रेडेरिक्सन ने कहा, ‘मुझे आपसे कहना है कि आप सचमुच में जानते हैं कि एक राजनेता का स्वागत कैसे करना है। कृपया डेनिश लोगों को सिखाएं कि यह कैसा किया जाता है। डेनमार्क में 60 से अधिक भारतीय कंपनियां द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों को मजबूत कर रही हैं। इनमें मुख्य रूप से आइटी क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। डेनमार्क में भारतीय मूल के करीब 16,000 लोग रहते हैं।
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