नई दिल्ली । अर्थव्यवस्था (Economy) के मोर्चे पर सरकार को कोरोना ने तगड़ा झटका दिया है. कोरोना संकट (Corona crisis) की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. सरकार इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए तमाम तरह की कोशिशें कर रही हैं. इसी कड़ी में इस बार बजट में भी कोरोना का असर दिख सकता है. केंद्र सरकार की ओर से आने वाली 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा. इस बजट में धनकुबेरों और अमीरों को कुछ निराशा हाथ लग सकती है.
कोविड सेस लगाने की तैयारी
दरअसल केंद्र सरकार ने टैक्स, राजस्व में हुई गिरावट, निवेश में दिक्कत और कोरोना टीकाकरण का बोझ जैसी परिस्थितियों के कारण राजस्व बढ़ाने के लिए अमीर लोगों पर कोविड-19 अधिभार लगाने की तैयारी की है. केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही देश में कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी. ऐसे में टीकाकरण के लिए लगने वाले खर्च की भरपाई करने के लिए सरकार की ओर से सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.
सेस या सरचार्ज लगाने पर मंथन
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमीरों की आय पर कोविड-19 सेस या सरचार्ज लगाने पर मंथन किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक बजट में इसकी अंतिम घोषणा हो सकती है. सरकार की ओर से राजस्व बढ़ाने के लिए इसके अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.
कई विकल्पों पर विचार
कोविड-19 सेस लगाने के बारे में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया है, जो उच्च आय वर्ग वाले करदाताओं पर लगाया जाएगा. इसके अलावा अप्रत्यक्ष टैक्स भी बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. पेट्रोल और डीजल पर भी अतिरिक्त कर लगाए जाने की संभावना है.
16 जनवरी से देशभर में शुरू हो रहा वैक्सीनेशन
शुरुआती अनुमान के मुताबिक, कोरोना वायरस वैक्सीन रोलआउट पर करीब 60,000 से लेकर 65,000 करोड़ रुपये तक का खर्च होगा. सरकार ने बताया है कि 16 जनवरी से राष्ट्रव्यापी स्तर पर कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होगी. इसके लिए 3 कोर हेल्थकेयर ओर फ्रंटलाइन वर्कर्स को वरीयता दी जाएगी.
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