उज्जैन। शहर में अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और शहर का विस्तार भी अधिक हो चुका है, इसके बावजूद कहीं भी पुलिस चौकी नजर नहीं आती हैं और जहाँ सालों पहले लगाई गई थीं वो वह अब खटारा स्थिति में पहुंच चुक हैं। केवल छत्रीचौक की चौकी ही ऐसी है जहाँ हमेशा पुलिसकर्मी बैठते हैं।
शहर में लगभग हर दिन अपराधिक घटनाएं होती है जिनमें मारपीट, चोरी, वाहन चोरी सहित छेड़छाड़ की वारदातें शामिल हैं लेकिन पुलिस बल थानों के सिवाय कहीं भी दिखाई नहीं देता है। पूर्व के वर्षों में शहर के प्रमुख चौराहों पर पुलिस चौकियां क्षेत्रीय रहवासियों की मदद से स्थापित करवाई गई थीं और यहाँ पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे लेकिन ये चौकियाँ सालों से सूनी पड़ी हैं और अधिकांश चौकियों के आसपास की जालिया और छत या तो नशेड़ी उखाड़ ले गए या रखरखाव के अभाव में जर्जर को खंडहर जैसी बन गईं। अब जहां भी पुलिस चौकी रखी दिखती है वो केवल ढाँचे के रूप में नजर आती है।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी केवल बैठ लेकर अपराधों पर अंकुश लगाने के निर्देश देते हैं और फिर किसी नयी घटना होने का इंतजार करते हैं और वारदात के समय कहीं भी पुलिस समय पर नहीं पहुंच पाती है। जबकि पुलिस के अधिकारियों को इन खंडहर हो चुकी चौकियों को सुधरवाकर इनमें पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगवानी चाहिए जिससे चौराहों पर पुलिस नजर आए और जनता भी पुलिस के भरोसे रह चुके हैं। जिला अस्पताल के पीछे, त्रिमूर्ति टॉकीज चौराहा, गदा पुलिया के पास की पुलिस चौकी, जयसिंहपुरा, जूना सोमवारिया चौराहा, पीपलीनाका, फव्वारा चौक सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में सालों पहले पुलिस चौकियाँ लगाई गई थीं और अब यह व्यवस्था पूरी तरह समाप्त हो गई है। क्षीरसागर स्थित चौकी पर फुटपाथ पर रात गुजारने वालों ने कब्जा कर रखा है और अपना ठिकाना बना लिया है। ऐसे ही कई जगहों की चौकियों के हालात हैं। कहीं पर फर्मों ने अपने बोर्ड लगवा रखे हैं तो कई पर दुकानदारों ने अपना सामान रखना शुरू कर दिया है। इसी तरह पूर्व के वर्षों में बनाए गए पुलिस मित्र भी निष्क्रिय हो चुके हैं।
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