जबलपुर। धान परिवहन की जांच जारी है, लेकिन टीम अब तक ये खुलासा नहीं कर सकी है कि आरोपी मिलर्स से जबलपुर के उपार्जन केन्द्रों की धान किसे बेची। जांच दल ने अब तक शहर की करीब 35 में से 9 मिल की जांच पूरी कर ली है। इनमें स्टाक और रिकार्ड की जांच की गई। इस दौरान जांच दल ने नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा इन मिलर को दिए गए आरओ और उसके आधार पर वेयरहाउस और उपार्जन केंद्र से उठाई गई धान के स्टाक को खंगाला गया। हालांकि अब तक की जांच में किसी भी मिलर में गड़बड़ी नहीं मिली है। जांच दल ने सभी रिकार्ड और स्टाक सही पाया है।
अभी जांच जारी है
जिले की फूड कंट्रोलर नुजहत वाकई ने कहा कि जांच समिति ने नौ मिल की जांच की है। इनके धान के स्टाक, आरओ के आधार पर जो धान उठाई, जिसकी मिलिंग की, जो चावल नान और एफडीआइ में जमा किया, उसकी जांच की है।
शिकंजे से बाहर अब तक फरार आरोपी
सूत्रों की माने तो ग्वालियर, मुरैना, उज्जैन, विदिशा और मनेरी के मिलर ने जो धान उठाई, उसे जिले में खपाने की बजाए, आसपास के जिलों में खपाई है। इधर जबलपुर के कई व्यापारियों को भी बेची गई है, लेकिन कार्रवाई के डर ने इन व्यापारियों ने मिलर में मिलिंग के लिए माल पहुंचाने की बजाए पूरा माल दबा दिया है। वहीं दूसरी ओर धान परिवहन में फर्जीवाड़ा करने वाले बाहरी मिलर, उपार्जन समिति और नान के कई अधिकारी-कर्मचारी अब भी फरार हैं, पुलिस इन तक नहीं पहुंच सकी है।
नौ मिलर को मिली क्लीन चिट
जबलपुर में खरीदी गई धान, जिसे उज्जैन, ग्वालियर, मुरैना, विदिशा और मंडला के मनेजी के मिलर को ले जाना था, लेकिन इन्होंने कागजों पर धान का परिवहन दिखाया और परिवहन से लेकर धान बेंचने तक में कमाई की। हालांकि अभी तक जबलपुर के मिलर द्वारा इनकी धान खरीदी की बात सामने आ रही थी, लेकिन जांच दल को मिले स्टाक और रिकार्ड में ऐसे कोई तथ्य सामने नहीं आए हैं, जिसमें यह कहा जा सकें कि इन्होंने बाहरी मिलर से धान खरीदी। जांच दल ने रिछाई और शहपुरा की करीब नौ मिल में जाकर जांच की। इनमें रिछाई की सम्यक, शाह जी, साईनाथ, प्रकाश और शहपुरा की रघुवीर, जयनम, चिनमय आदि हैं। अभी भी जिले की करीब 26 मिलर हैं, जहां जांच होनी है, लेकिन अवकाश की वजह से जांच रूक गई है।
ये है मामला
जिला प्रशासन की जांच में नागरिक आपूर्ति विभाग से लेकर अन्य जिले के मिलर, उपार्जन केंद्र के प्रभारी और सोसायटी समेत 74 लोगों पर एफआइआर दर्ज की गई। इनमें आरओ काटने वाले नान के अधिकारी से लेकर इश्यू सेंटर प्रभारी, कम्प्यूटर आपरेटर, कर्मचारी और वहीं उपार्जन केंद्र के सेंटर प्रभारी, कम्प्यूटर आपरेटर के अधिकांश लोग अब भी फरार हैं। इनकी गिरफ्तारी को लेकर जिला पुलिस की कार्रवाई भी ठंडी पड़ गई है। जबकि सूत्रों की माने तो जिन पर एफआइआर हुई, उनमें से अधिकांश जनप्रतिनिधि से लेकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के परिचित हैं। इनमें से कई तो जबलपुर में ही हैं तो कई घर में रहकर ही फरारी काट रहे हैं, जबकि जिनकी पहचान नहीं है, वे इन दिनों जेल की हवा खा रहे हैं। उन्हें अब तक जमानत नहीं मिली है।
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