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    इंदौर में कहां चल सकती है केबल कार… सर्वे के लिए एजेंसी की तय

  • July 03, 2024

    प्राधिकरण बोर्ड ने मंजूर किया सर्वे का टेंडर, दिल्ली की फर्म वेपकोस को सौंपा जिम्मा, पौने 2 करोड़ से अधिक होंगे खर्च

    इंदौर। बीते कई वर्षों से शहर में केबल कार (cable car) चलाने के सपने भी दिखाए जाते रहे हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री (CM) के निर्देश पर केबल कार मामले में फिर हलचल शुरू हुई और प्राधिकरण बोर्ड (Authority Board) ने फिजिबिलिटी (Feasibility) सर्वे के लिए जो टेंडर बुलाए थे उनमें ेसे न्यूनतम दर वाली एजेंसी को इसका जिम्मा सौंपा। नई दिल्ली की वेपकोस के अलावा राइट्स एजेंसी ने इस सर्वे के लिए टेंडर जमा किया था और बोर्ड ने वेपकोस की दर कम होने पर उसे मंजूरी दी। पौने 2 करोड़ रुपए से अधिक की राशि इस सर्वे पर खर्च होगी। उक्त कम्पनी यह बताएगी कि शहर में केबल कार का संचालन कहां से कहां तक किया जा सकता है और यह प्रोजेक्ट सफल साबित होगा अथवा नहीं तथा इस पर कुल कितना खर्चा आएगा और संचालन किस तरह किया जाएगा।


    अभी पिछले दिनों ही सुगम यातायात के लिए जहां सडक़ों-फ्लायओवर के निर्माण के निर्णय तो लिए ही गए, वहीं मेट्रो के अलावा इंदौर-उज्जैन को जोडऩे के लिए वंदे मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट की जानकारी भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दी। साथ ही इंदौर जैसे बड़े शहरों में केबल कार संचालन की संभावनाएं भी बताई। उज्जैन में रेलवे स्टेशन से लेकर महाकाल मंदिर तक केबल कार के लिए केन्द्र सरकार राशि दे भी रहा है। वहीं इंदौर शहर में केबल कार का संचालन किस तरह किया जा सकता है इसकी फिजिबिलिटी सर्वे रिपोर्ट अब दिल्ली की कम्पनी वेपकोस करेगी, जिसे प्राधिकरण ने ठेका दिया है। पूर्व में भी प्राधिकरण ने जो टेंडर बुलाए थे उसमें वेबकोस ने अधिक दर दी थी, जिसके चलते टेंडर निरस्त हुए थे। दूसरी बार बुलाए टेंडर में दो ही कम्पनियों ने हिस्सा लिया और उसमें तय किए गए मापदण्डों के मुताबिक सबसे अधिक अंक वेबकोस को मिले और उसने पौने 2 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रस्ताव दिया, जिसमें दो फीसदी सुपर विजन चार्ज और जीएसटी की राशि अलग से देय रहेगी। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक बोर्ड निर्णय के आधार पर वेबकोस को केबल कार संचालन का फिजिबिलिटी सर्वे कराने का जिम्मा सौंपा गया है, जिसके द्वारा यह बताया जाएगा कि शहर के किन व्यस्त इलाकों में लोक परिवहन की दृष्टि से केबल कार का संचालन किया जा सकता है। देश के कुछ धार्मिक, पर्यटन स्थलों पर इस तरह की केबल कार चलती है और रोप-वे के कई अलग-अलग मॉडल हैं। विदेशों में तो लोक परिवहन के लिए भी केबल कार का इस्तेमाल होता है। नेशनल हाईवे ने भी केबल कार के लिए अपनी लॉजिस्टिक मैनेजमेंट कम्पनी के जरिए कई शहरों में सर्वे का काम किया है और केन्द्र के परिवहन मंत्रालय द्वारा भी इसके लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। उज्जैन में ही रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक केबल कार के लिए केन्द्र ने ही मंजूरी दे रखी है। अब देखना यह है कि इंदौर में केबल कार का संचालन संभव है अथवा नहीं, यह फिजिबिलिटी सर्वे से पता चलेगा। वैसे तो साढ़े 32 किलोमीटर का मेट्रो ट्रैक पर भी काम चल रहा है, जिसके अंडरग्राउंड ट्रैक को लेकर अभी खींचतान मची है। दूसरी तरफ रेलवे स्टेशन, राजवाड़ा, पलासिया या अन्नपूर्णा क्षेत्र में भी केबल कार का संचालन संभव है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मॉडल के तहत ही इस तरह के प्रोजेक्ट अमल में लाए जा सकते हैं। उज्जैन में भी नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड ने 1762 मीटर लम्बे रोप-वे यानी केबल कार के लिए पिछले दिनों नया टेंडर जारी किया है। दरअसल 150 करोड़ रुपए से अधिक का यह प्रोजेक्ट है, जिसमें पैदल पुल के साथ ये केबल कार को अमल में लाना पड़ेगा।

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