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    कब लगेगा साल का आखिरी चंद्रग्रहण? जानें तिथि, समय व पौराणिक कथा

  • August 17, 2021

    ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। पौराणिक ग्रंथों में चंद्रमा का वर्णन मिलता है। चंद्रमा के बारे में वेद और पुराण में भी बताया गया है। चंद्रमा को सोम भी कहा जाता है। चंद्रमा भगवान शिव के भक्त हैं। चंद्रमा को भगवान शिव का विशेष स्नेह प्राप्त है। अग्नि पुराण में चंद्रमा (Moon) के जन्म के बारे में बताया गया है। आपको बता दें कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 (शुक्रवार) को लगेगा। 19 नबंवर को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस बार कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को चंद्र ग्रहण लग रहा है। चंद्र ग्रहण की घटना को ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्वपूर्ण माना गया है।

    चंद्र और सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ घटना के तौर पर भी देखा जाता है। ग्रहण के दौरान शुभ व मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ(worship) की भी मनाही होती है। ग्रहण काल में देवी-देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा को स्पर्श नहीं किया जाता है। मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।आइए जानते हैं साल 2021 के आखिरी चंद्र ग्रहण के बारे में।

    चंद्र ग्रहण का समय
    पंचांग के अनुसार 19 नबंवर को लगभग 11 बजकर 30 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगेगा और शाम 05 बजकर 33 मिनट पर ग्रहण समाप्त होगा।

    सूतक काल
    19 नबंवर 2021 को लगने वाले चंद्र ग्रहण में सूतक के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा। इस ग्रहण को उपछाया ग्रहण माना जा रहा है। सूतक के नियमों का पालन तभी किया जाता है जब पूर्ण ग्रहण की स्थिति बनती है।

    कहां दिखेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण



    साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (last lunar eclipse) भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई पड़ेगा।

    चंद्र ग्रहण की पौराणिक कथा
    समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया था। अमृत की कुछ बूंद गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए। सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया।

    माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ लेते है तो ग्रहण लगता है और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। साथ ही दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं इसलिए ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों (good deeds) को करने की मनाही होती है।

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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