उज्जैन। हर साल जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस साल जितिया व्रत 06 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन मताएं जितिया व्रत रखकर संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी।
दरअसल, यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि मे किया जाता है। इससे पहले नहाय खाय एक दिन पहले यानी सप्तमी को किया जाता है। मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार 05 अक्टूबर गुरुवार को सप्तमी तिथि दिन के 09 बजकर 08 मिनट उपरांत तक होगी, इसके बाद शुक्रवार को सप्तमी तिथि दिन के 09:35 तक रहेगी और उसके बाद अष्टमी तिथि शुरू होगी।
शुक्रवार को उदया तिथि न होने के कारण लोग अगले दिन शनिवार को भी जितिया व्रत रख रहे हैं। लेकिन शुक्रवार को अष्टमी तिथि 9.35 पर लग जाएगी और समापन 07 अक्टूबर, शनिवार को दिन के 10: 32 पर होगा। इसलिए पूरे दिन अष्टमी तिथि आपको शुक्रवार को मिलेगी, जिसमें पूजन और व्रत कथा होगी। माताएं अपनी संतान की रक्षा और कुशलता के लिए निर्जला व्रत करती हैं। व्रत नहाय खाय से एक दिन पहले शुरू हो जाता है और अगले दिन सूर्योदय पर पारण होता है।जितिया व्रत सप्तमी तिथि में व्रती नहाय खाय करती है।
इस दिन कई जगह शाम को गाय के गोबर से घर लीपा जाता है और फिर जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाई जाती है और उसे मिट्टी के पात्र में रखा जाता है। इसके अलावा सियारिन की भी मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए महिलाएं मिट्टी खोदकर तालाब बनाती हैं। इसके पास पाकड़ या बरियार की डाल लाकर खड़ा कर शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति मिट्टी के पात्र मिट्टी के पात्र में स्थापित कर पीली रुई से अलंकृत करें। मिट्टी या गोबर से चिल्ली और सियारिन की मूर्ति बनाएं उस पर लाल सिन्दूर लगाएं और बांस के पत्तों से पूजा करें।
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