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    कब लिखी गई थी देश की पहली FIR? जानें क्या था मामला

  • October 23, 2021

    नई दिल्ली। भारतीय आचार संहिता (Indian code of conduct) के कुछ कानूनों (Laws) और धाराओं को देखकर अक्सर चर्चाएं होती हैं कि इन्हें खत्म कर देना चाहिए. 150 सालों से चले आ रहे इंडियन पुलिस एक्ट (Indian Police Act) की ही बात करें तो हमें पता लग जाएगा कितने सुधार की जरूरत अब भी है. इस कानून के अनुसार विवाद के दौरान घटना स्थल पर पहुंचे कॉन्स्टेबल (Constable) को अधिकार रहेगा कि वह खुद तय कर सकता है कि पब्लिक प्लेस (Public Place) पर कौन सा मामला गैर-कानूनी है और कौन सा नहीं. इस नियम के कारण अक्सर प्रेमी जोड़ों को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. आप सोच रहे होंगे इस तरह के कानूनों को तो बंद हो जाना चाहिए, लेकिन इसी तरह के कई और कानून (Law) अब भी देश में चल रहे हैं.



    जब होता था ताज-ए-रात-ए-हिंद
    अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए भारतीय आचार संहिता (IPC) के कानूनों को भारत सरकार ने कुछ संशोधनों के बाद ज्यों का त्यों अपना लिया. जिनमें कई ऐसे कानून है, जो आज बिलकुल भी औचित्य नहीं रखते. आपने कई पुरानी फिल्मों में जज द्वारा अपराधी को सजा सुनाते वक्त ‘ताज-ए-रात-ए-हिंद’ कहते सुना होगा. दरअसल, IPC (Indian Penal Code) को तब ताज-ए-रात-ए-हिंद कहा जाता था.

    1861 में हुई कानून की शुरुआत
    गुलामी के दौरान अंग्रेजों ने 1861 में देश में कानून की शुरुआत की थी. लेकिन क्या आपको ये पता है कि देश में सबसे पहली FIR कब लिखी गई? इसे किसने लिखवाया? और ये कहां और किस थाने में लिखी गई थी? पहली FIR किस कारण लिखी गई थी? शायद आप इन सब के बारे में नहीं जानते होंगे. लेकिन हम आपके लिए लेकर आए हैं, वो जानकारी जब देश में पहली बार FIR लिखी गई थी. और उस शिकायत के बारे में बहुत कुछ.

    उर्दू में लिखी गई थी पहली FIR
    18 अक्टूबर को ही 1861 में देश की पहली FIR (India’s First FIR) लिखी गई थी. वह भी राजधानी दिल्ली में. दिल्ली पुलिस के ट्वीट के अनुसार पहली रिपोर्ट चोरी की घटना पर दर्ज हुई थी. खुद दिल्ली पुलिस ने 24 अगस्त 2017 को अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर इस बारे में जानकारी शेयर की थी.

    ‘खास है इतिहास’
    दिल्ली पुलिस ने तब ‘खास है इतिहास’ टैगलाइन के साथ FIR की कॉपी ट्वीट की थी. दिल्ली पुलिस ने FIR के साथ ही बताया था कि पहली FIR में कौन-सा सामान चोरी हुआ था. FIR के अनुसार खाना बनाने वाले बर्तनों में 3 डेगचे, 3 डेगची, एक कटोरा, एक कु्ल्फी बनाने वाला सांचा, औरतों के कुछ कपड़े और हुक्का चोरी हुआ था.

    इतना महंगा था सामान!
    दिल्ली पुलिस के अनुसार चोरी हुए सामान की कीमत उस समय 45 आने थी. एक रुपये में 16 आने आते हैं, इस हिसाब से चोरी की पहली FIR में 2 रुपये 70 पैसे का सामान चोरी हुआ था. परिवार के पुरुषों ने हुक्का और महिलाओं ने कपड़े चोरी होने पर गुस्सा जाहिर करते हुए पुलिस में शिकायत की थी.

    किस थाने में दर्ज हुई थी रिपोर्ट
    चोरी की शिकायत लिखवाने वाले पीड़ित का नाम मयुद्दीन था. वे दिल्ली के कटरा शीशमहल के निवासी थे, उन्होंने दिल्ली के सब्जी मंडी थाने में FIR दर्ज करवाई थी. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस वक्त बाड़ा हिंदू राव अस्पताल की पहाड़ी से आजाद मार्केट चौक की तरह जो चौराहा जाता है, उसके दाहिने तरफ बड़ी सब्जी मंडी हुआ करती थी. उसी के नाम पर थाने का नाम सब्जी मंडी थाना रखा गया.

    1861 के दिल्ली में थे 5 थाने
    बता दें कि रिपोर्ट लिखवाने के दौरान दिल्ली में पांच थाने हुआ करते थे. कोतवाली थाना, सब्जी मंडी थाना, सदर बाजार थाना, महरौली थाना और मुंडका थाना. दिल्ली में दर्ज हुई पहली FIR की कॉपी को आप जीटीबी नगर के किंग्सवे कैंप रोड पर बने पुलिस म्यूजियम में देख सकते हैं.

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