रामेश्वर धाकड़
भोपाल। कोरोना की वजह समाज और रिश्तों का बदला हुआ रूप भी सामने आया है। संकट के दौर जहां अपने ही अपनों के लिए खड़े होते हैं, वहीं कोरोना संकट में सबसे पहले अपने ही अपनों से दूर खड़े दिखे। मां-बाप खो चुके अनाथ बच्चों को अपनाने के लिए परिवार पूरी तरह से आगे नहीं आए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनाथों को अपनाया है। सरकार ने ऐसे बच्चों का जीवन सुरक्षित करने के लिए बाल सेवा योजना शुरू की है। इस योजना में अभी तक 600 से ज्यादा बच्चे शामिल हो चुके हैं।
कोरोना की वजह से प्रदेश में 600 से ज्यादा बच्चे अनाथ हो गए हैं। ऐसे बच्चों को अपनाने की जिम्मेदारी परिवार की है, लेकिन कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जहां परिवार और रिश्तेदारों ने अनाथों को ठुकराया कर उनकी संपत्ति को ही हड़पने की कोशिश की है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनाथ बच्चों के लिए योजना शुरू की है। इस योजना के तहत बच्चों के खातों में पांच हजार पेंशन, मुफ्त राशन, पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चत है। 18 साल तक पेंशन मिलती रहेगी। आगे की पढ़ाई भी सरकार कराएगी।
अनाथ बच्चों से मिलेंगे मुख्यमंत्री
सोशल वेलफेयर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का देश में कोई विकल्प नहीं है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि कोविड की स्थिति सामान्य होने पर मुख्यमंत्री कोरोना से अनाथ होने वाले सभी बच्चों से मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों कलेक्टरों से कहा है कि अनाथ बच्चों की पैत्रिक संपत्ति को उनके नाम करें। जिससे कोई उनका हक नहीं मार पाए। अनाथ बच्चों की संपत्ति से जुड़े केस भी सरकार लड़ेगी।
इंदौर कलेक्टर ने लगाई संपत्ति विक्री पर रोक
कोरोना में मां-बाप खो चुके भाई-बहन के साथ रिश्तेदारों ने ही ठगी की कोशिश की। इलाज में खर्च के नाम पर रिश्तेदारों ने संपत्ति को कम कीमत पर बेचा और पैसा हड़प लिया। जब मामला कलेक्टर तक पहुंचा तो उन्होंने संपत्ति विक्री पर रोक लगा दी। साथ ही पूरी संपत्तियों को दोनों बच्चों के नाम पर दर्ज करने के निर्देश दिए। बच्चों को बाल सेवा योजना में शामिल किया गया है। अन्य जिलों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं।
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