मुंबई । कमाल की कॉमिक टाइमिंग, जबरदस्त डांस, दमदार एक्शन (Comic timing, tremendous dance, strong action) और रंग बिरंगे चटखदार कपड़े, 80 और 90 के दौर में यही गोविंदा (Govinda) की पहचान थी। उस वक्त जो गोविंदा कर रहे थे वो न शाहरुख खान कर सकते थे न ही आमिर। सलमान की बॉडी और अक्षय कुमार का एक्शन भी गोविंदा के सामने फीका पड़ गया था। गोविंदा का सफर किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं रहा। उन्होंने विरार में गरीबी भी देखी और आसमान में अपने नाम का परचम भी। 21 दिसंबर 1963 को मुंबई में पैदा हुए गोविंदा को एक बार ताज होटल में नौकरी देने से भी मना कर दिया था।
गोविंदा के पिता अरुण कुमार अहूजा अपने दौर में एक मशहूर कलाकार थे। उन्होंने 30-40 फिल्मों में काम भी किया था। वहीं गोविंदा की मां निर्मला देवी शास्त्रीय गायिका थीं, जो फिल्मों में गाया करती थीं। एक फिल्म के निर्माण के दौरान गोविंदा के पिता को ज़बरदस्त घाटा हुआ और उन्हें अपना बंगला छोड़ मुंबई में विरार आकर रहना पड़ा।
गोविंदा कॉमर्स में ग्रेजुएट थे और नौकरी के लिए कई जगह गए। जब वह नौकरी की तलाश में ताज होटल पहुंचे तो रिजेक्ट कर दिया गया। एक चैट शो के दौरान गोविंदा ने बताया था कि एक बार उनकी मां को कहीं जाना था और मुंबई के खार स्टेशन पर वे उनके साथ लोकल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। ट्रेनें ठसाठस भरकर आई। भीड़ की वजह उन्होंने कई ट्रेनें छोड़ दीं। इस बात से कोफ्त में आकर, गोविंदा तुरंत किसी रिश्तेदार के पास भागे और कुछ पैसे उधार लेकर आए जिससे उन्होंने मां को फर्स्ट क्लास का पास बनवाकर दिया।
इस घटना ने गोविंदा को अंदर तक हिलाकर रख दिया। और फिर इसके बाद उन्होंने सबकुछ भूलकर काम करना शुरू कर दिया। उन्हें 80 के दशक में पहले एलविन नाम की एक कंपनी का विज्ञापन मिला और इसके बाद वे फिर कभी नहीं रुके। साल 1986 में उनकी पहली फिल्म‘इल्जाम’ रिलीज हुई और वे बड़े पर्दे पर छा गए। अपने करियर में गोविंदा ने करीब 165 फिल्मों में काम किया। 11 बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड का नॉमिनेशन मिला। वह बेस्ट कॉमेडियन का फिल्म फेयर अवार्ड जीतने में कामयाब भी हुए। वहीं अपने करियर में चार बार उन्होंने जी सिने अवार्ड भी जीता।
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