पांच चरणों की कड़ी परीक्षा के बाद टीम इंदौर को प्रधानमंत्री उत्कृष्टता का पुरस्कार मिल पाया
इंदौर। कोरोना (Corona) के चलते लगातार तीन सालों से रुका पड़ा प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार (Prime Minister’s Excellence Award) आखिर इंदौर की झोली में आ ही गया। खास बात यह है कि इस पुरस्कार के लिए केवल एक वर्ष नहीं, बल्कि तीन वर्षों की मेहनत का आकलन किया गया। इंदौर शहर ने जनभागीदारी से खड़े किए गए जनआंदोलन के तहत लोगों की आदतें बदलकर यह खिताब हासिल किया। यानी इस पुरस्कार में इंदौर के आम लोगों की भागीदारी भी शामिल है, जिसे कलेक्टर की टीम ने प्रोत्साहित कर न केवल सजग किया, बल्कि शहर को लगातार पांच बार स्वच्छता का खिताब दिलवाया।
प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार (Prime Minister’s Excellence Award) की इस स्पर्धा में देशभर के शहरों में भाग लिया। इस स्पर्धा की कठिन परीक्षा में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों ने तमाम सवाल दागकर इस बात की पुष्टि की कि किस तरह से उन्होंने जनभागीदारी को जोड़ा और इसे एक आंदोलन बनाया। कलेक्टर मनीषसिंह (Indore, Collector Manish Singh) ने बताया कि कैबिनेट सेक्रेटरी तक ने प्रतिस्पर्धा में शामिल सिविल सर्विसेस के प्रतियोगियों से कई ऐसे सवाल किए, जो वरिष्ठ अधिकारियों ने भी नहीं सोचे होंगे। जनभागीदारी के प्रश्न पर हमने सख्ती पर कम मोटिवेशन पर ज्यादा ध्यान दिया और यही कारण है कि हम यह पुरस्कार हासिल कर पाए। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी आंदोलन के अलावा और भी अन्य प्रशासनिक स्पर्धाओं में इंदौर ने भाग लिया था, जिनमें पोषण आहर मिशन, अमृत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्ट्रीट वेंडर योजना शामिल रही हैं। इस पुरस्कार के चयन का यह सबसे अच्छा पहलू है कि हर शहर के कार्यों का आकलन किया गया। यहां तक कि दतिया जैसे शहर को पोषण आहार पुरस्कार मिला। कलेक्टर ने बताया कि तीन वर्षों की इस स्पर्धा में वर्ष 2019 में 16 प्रतियोगी, 2020 में 20 प्रतियोगी और 21 में 18 प्रतियोगियों ने भाग लिया और अंत में सूरत, विशाखापट्टनम और इंदौर अंतिम तौर पर रहे, जिनमें इंदौर के प्रेजेंटेशन और शहर के लोगों की आदत बदलने, स्वच्छता में शामिल होने, आगे बढक़र अपने शहर की खूबसूरती के लिए काम करने, सरकारी प्रयासों में आगे बढक़र अपना सहयोग देने का परिणाम यह रहा कि इंदौर टीम को उत्कृष्टता पुरस्कार हासिल हुआ।
हमने केवल साधन उपलब्ध कराए… और लोग साध्य बन गए…
कलेक्टर मनीषसिंह (Indore, Collector Manish Singh) का कहना है कि प्रशासन ने अपने तौर पर साधन उपलब्ध कराए… योजनाएं बनाईं… लोगों को प्रोत्साहित किया और उसका परिणाम यह है कि आज इंदौर न केवल स्वच्छता में, बल्कि कई ऐसे कामों में शुमार है, जो पूरे देश के लिए अनुकरणीय हैं… उन्होंने कहा कि हम केवल शहर को स्वच्छ ही नहीं कर रहे, बल्कि कचरे का निपटान भी कर रहे हैं…और कचरे का निपटान करके उसे कमाई का साधन भी बना रहे हैं…यह इंदौर शहर की जनभागीदारी और जनआंदोलन का ही परिणाम है कि देश के किसी भी शहर में कचरे का पृथकीकरण, यानी गीला-सूखा कचरा अलग करने की आदत आम लोगों में शुमार हो चुकी है। घर-घर से हासिल कचरा अलग-अलग करके दिया जाता है, जिससे कचरे के निपटान मेें सुविधा होती है…हम देश मेें कचरे से ऊर्जा बनाने वाले शहरों में शामिल हैं…हमारी सडक़ेें खूबसूरत हैं… जनभागीदारी का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि यदि कोई सडक़ों पर कचरा फेंकता है तो हमारे बच्चे उसे टोक देते हैं…
टीम इंदौर को मिला पुरस्कार… कलेक्टर ने जनता के साथ सफाईकर्मियों को समर्पित किया
स्वच्छता में सिरमौर इंदौर को एक और प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार (Prime Minister’s Excellence Award) से सम्मानित किया गया है। टीम इंदौर के प्रयासों से कलेक्टर मनीषसिंह (Indore, Collector Manish Singh) को मिला यह अवॉर्ड उन्होंने जनता के साथ सफाईकर्मियों को समर्पित किया है। सिंह का कहना है कि जनप्रतिनिधियों, नागरिकों, सफाईकर्मियों और मीडिया की सक्रिय सहभागिता अब देशभर में उदाहरण बन चुकी है। वर्ष-2020 के लिए यह अवॉर्ड केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य के प्रेसीडेंट कमिश्नर के माध्यम से अवॉर्डी अधिकारियों को दिया गया।
पूर्व कलेक्टर का अवॉर्ड शिकायत के बाद हो गया था रद्द
कुछ समाचार-पत्रों ने प्रकाशित किया कि इंदौर को ऐसा अवॉर्ड पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत सिटी बस सेवा के लिए पूर्व में मिल चुका है, जबकि हकीकत यह है कि पूर्व कलेक्टर विवेक अग्रवाल के खिलाफ कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू द्वारा की गई शिकायत के बाद उनका नाम अवॉर्ड लिस्ट से बाहर कर दिया गया था।
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