नई दिल्ली. वैशाख माह का वरुथिनी एकादशी(Varuthini Ekadashi) व्रत 26 अप्रैल दिन मंगलवार को रखा जाएगा. इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है, व्रत कथा का पाठ किया जाता है, दान करते हैं और नियमपूर्वक व्रत रखते हैं. इस व्रत को करने से कष्ट और दुख(pain and suffering) दूर होते हैं, इसके अतिरिक्त विष्णु कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं वरुथिनी एकादशी व्रत के नियमों के बारे में.
वरुथिनी एकादशी व्रत के नियम
1. एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को तामसिक भोजन और विचारों से दूर रहना चाहिए. व्रत करने वाले व्यक्ति को मन, वचन और कर्म की शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए.
2. एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पीले वस्त्र(yellow clothes) पहनना चाहिए. उसके बाद व्रत एवं पूजा का संकल्प करना चाहिए.
3. भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत, तुलसी का पत्ता, पीले फूल, दीपक, चंदन, केसर, हल्दी, धूप, गंध, अक्षत् आदि का उपयोग करते हैं.
4. पूजा के समय वरुथिनी एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें. इससे व्रत का महत्व पता चलता है.
5. इस दिन आपको भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के मंत्रों का जाप तुलसी की माला से करनी चाहिए. इससे आपके मनोकामनाओं की सिद्धि हो सकती है.
6. वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केसर भात, केला या फिर खीर का भोग लगा सकते हैं.
7. एकादशी पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती ओम जय जगदीश हरे से करें. घी के दीपक या कपूर से आरती कर सकते हैं. आरती करने से नकारात्मकता दूर होती है.
8. एकादशी व्रत वाले दिन व्रती और परिवार के अन्य सदस्यों को बाल, नाखून, दाढ़ी नहीं काटना चाहिए. इस दिन स्नान में साबुन का उपयोग नहीं करते हैं.
9. एकादशी वाले दिन घर में झाड़ू नहीं लगाते हैं क्योंकि ऐसा करने से छोटे कीड़े आदि मर सकते हैं. जीव हत्या के दोष से बचना चाहिए.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते है. इन पर अपनाने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क करें)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved