हिंदू धर्म में अमावस्या व पूर्णिमा का विशेष महत्व है । पंचांग के अनुसार, सावन मास (Sawan month) की पूर्णिमा यानी श्रावणी पूर्णिमा 21 अगस्त 2021 को 19:02 बजे से प्रारंभ होकर 22 अगस्त 2021 के दिन सायंकाल 17:33 बजे तक रहेगी। शिव भक्तों के लिए यह दिन बहुत ख़ास होता है। क्योंकि यह सावन मास का अंतिम दिन होता है। इस दिन भाई –बहन के प्रेम का त्योहार रक्षा बंधन भी है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान –पुण्य का कार्य करना बहुत ही उत्तम माना जाता है।
इस दिन पितरों को तर्पण किया जाता है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ लक्ष्मी नारायण की पूजा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि की बरसात होती है। इस लिए इस दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की आराधना करना अति उत्तम होता है। आइए जानें सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima) की पावन तिथि का महत्व समेत इससे जुड़े अनेक धार्मिक उपाय:-
शिव का करें रुद्राभिषेक
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। चूंकि सावन पूर्णिमा, सावन मास का आखिरी दिन होता है। ऐसे में सावन मास के आखिर दिन भगवान शिव की पूजा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि शिव भक्तों के लिए सावन का महीना अब एक साल बाद ही आयेगा। ऐसे श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की साधना-आराधना एवं रुद्राभिषेक का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा के बाद दान और पुण्य का कार्य अति उत्तम होता है।
लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय
घर-परिवार में सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) की वृद्धि के लिए माता लक्ष्मी के साथ नारायण भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है। सावन मास में महादेव के संग लक्ष्मी नारायण की पूजा से पुण्य लाभ बहुत अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सावन पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा के दौरान माता लक्ष्मी (mata lakshmi) को 11 पीली कौड़ी विशेष रूप से चढ़ाएं। इसके बाद अगले दिन इन सभी 11 कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या लॉकर में रख लें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर-परिवार की आर्थिक तंगी (Financial scarcity) दूर हो जाती है, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है, और मां लक्ष्मी का घर में वास बना रहता है।
श्रावण मास में चंद्रमा की करें पूजा
श्रावण मास (shravan month) की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए तथा दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः’ अथवा ‘ॐ सों सोमाय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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