नई दिल्ली। हर महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (Trayodashi) तिथि भगवान शंकर को समर्पित होती है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। त्रयोदशी तिथि के प्रथम प्रहर यानी दिन छिपने के तुरंत बाद के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की प्रदोष काल(Pradosh Kaal) में पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूर्ण होती है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त-
फाल्गुन मास (falgun month) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 15 मार्च को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर होगा। इसके अगले दिन 16 मार्च, बुधवार (Wednesday) को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है।
भौम प्रदोष व्रत 2022-
मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत 15 मार्च 2022 को है। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
भौम प्रदोष व्रत महत्व-
भौम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, धन व धान्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की कृपा से रोग व दोष दूर होते हैं। प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को भगवान शंकर(Lord Shankar) की कृपा से विशेष लाभ मिलता है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा प्रदोष काल में की जाता है। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करें व बेलपत्र भी अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप करें।
जप के बाद प्रदोष व्रत कथा सुनें।
अंत में आरती करें और पूरे परिवार में प्रसाद बांटे।
भौम प्रदोष व्रत कथा-
एक समय की बात है। एक स्थान पर एक वृद्ध महिला रहती थी। उसका एक बेटा था। वह वृद्धा हनुमान जी की भक्त थी। हमेशा हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करती थी। मंगलवार को वह हनुमान जी की विशेष पूजा करती थी। एक बार हनुमान जी ने अपने भक्त उस वृद्धा की परीक्षा लेनी चाही।
वे एक साधु का वेश धारण करके उसके घर आए। उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण कर सकता है। जब उनकी आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, तो वह जल्दी से बाहर आई। उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं। इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। इस पर उसने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी।
हनुमान जी ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया। तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ। उसकी पीठ पर आग जला दो। उस पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे। हनुमान जी की बात सुनकर वह वृद्धा परेशान हो गई। वह करे भी तो क्या करे। उसने हनुमान जी को वचन दिया था। उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया।
हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग जलवा दी। वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई। कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया। वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है। बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले। इस पर वृद्धा ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें। लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे। तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा। वह अपनी मां के पास आ गया। अपने बेटे को जीवित देखकर वह आश्चर्यचकित थी। वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई। तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और आशीर्वाद दिया।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है. कोई भी सवाल या परेशानी हो तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें)
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