नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है। कहते हैं कि हर माह दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है। हर एकादशी के व्रत का महत्व अलग-अलग होता है। मार्गशीर्ष माह (Margashirsh Month) के बाद 20 दिसंबर से पौष माह (Paush Month) की शुरुआत होगी। और पौष माह में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी (Saphala Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है। इस साल सफला एकादशी 30 दिसंबर 2022 गुरुवार के दिन पड़ रही है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होता है।
एकादशी के दिन श्री हरि की पूजा (Shri Hari Puja) की जाती है और गुरुवार का दिन भी श्री हरि को ही समर्पित होता है। ऐसे में इस एकादशी का महत्व (Ekadashi Significance) और अधिक बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु की सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि करने से भगवान भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। वहीं, इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत आदि रखने से सारे कार्य सफल होते हैं इसलिए इसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है।
सफला एकादशी पर ऐसें करें पूजा (Saphala Ekadashi Pujan Vidhi)
बता दें कि सफला एकादशी के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को भगवान विष्णु के अच्युत स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद स्नान आदि करें और फिर व्रत का संकल्प लें। भगवान को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान अच्युत का पूजन नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग से करें। कहते हैं कि इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। इस दिन रात के समय जागते हुए श्री हरि की उपासना की जाती है। द्वादशी के दिन किसी जरूरमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं। और सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved