हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्(Special importance) होता है। यह तिथि भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित होती है। इस शुभ तिथि के दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है। हर महीने दो त्रयोदशी तिथि पड़ती हैं। पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस तरह से हर महीने कुल 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, जबकि साल में कुल 24 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की प्रदोष काल में पूजा लाभकारी मानी जाती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शंकर की पूजा करने से बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके साथ ही घर में सुख-शांति (Peace and tranquility)और समृद्धि का वास होता है। भगवान शंकर निरोगी होने का आशीर्वाद देते हैं।
जून का पहला प्रदोष व्रत कब है?
जून का पहला प्रदोष व्रत 07 जून 2021, दिन सोमवार को रखा जाएगा। 07 जून को त्रयोदशी तिथि सुबह 08 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 08 जून को सुबह 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष काल क्या होता है?
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन स्नान के बाद पूजा के लिए बैठें। भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें। महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान शिव व माता पार्वती (Mother Parvati) की आरती उतारें। पूरे दिन व्रत-नियमों का पालन करें।
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