नई दिल्ली। भाई-बहनों के प्रेम सौहार्द्र का परम् पवित्र पर्व रक्षा बंधन (festival raksha bandhan) अपनी महत्ता से पूरे विश्व को एक सूत्र में बाँध देता है । यह पर्व न केवल भाई-बहनों के मध्य रक्षा सूत्र (defense thread) बाँधने का पर्व है ,अपितु नए संकल्प की कामना का है कि भैया हमारा शतायु हो तथा हमारी अस्मिता एवं प्रतिष्ठा की सदैव रक्षा करें ।
रक्षा बन्धन का यह पवित्र पर्व श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा (Shravan Shukla Paksha Purnima) को पूरे विश्व में बड़े ही श्रद्धा भाव एवं पवित्रता के साथ मनाया जाता है । यद्यपि कि रक्षा सूत्र बाँधने का कार्य पूरे दिन चलता है परन्तु भद्रा रहित एवं अन्य अशुभ योगों (inauspicious yogas) से रहित मुहूर्त्त में रक्षा सूत्र बाँधना शुभफलदायीं होता है ।
इस वर्ष व्रत के लिए पूर्णिमा का मान 11 अगस्त गुरुवार को दिन में 9 बजकर 35 मिनट से ही आरम्भ हो जाएगा जो अगले दिन 12 अगस्त दिन शुक्रवार को प्रातः 7 बजकर 16 मिनट तक व्याप्त रहेगा। अतः व्रत के लिए पूर्णिमा का मान 11 अगस्त को ही होगा एवं स्नान दान सहित श्रावणी पूर्णिमा (Shravani Purnima) उदय कालिक पूणिमा तिथि में 12 अगस्त को होगा।
इसमें भी अति उत्तम मुहूर्त्त 11 अगस्त की रात 12 से 1:20 बजे तक एवं 12 अगस्त की सूर्योदय पूर्व भोर में 03:00 बजे से सुबह 7:16 बजे तक शुभ चौघड़िया में रक्षाबंधन का पुनीत कार्य शुभ फल प्रदायक होगा।
उदया तिथि को मानने वाला वैदिक विप्र अपनी शाखा की परंपरा के अनुसार श्रावणी उपाकर्म 12 अगस्त दिन शुक्रवार को करेंगे।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved