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    कब है गुरु नानक जयंती ? जानें तारीख और गुरु नानक से जुड़ी ये खास बातें

  • November 12, 2021

    गुरुनानक जयंती सिखों (Sikh) का सबसे बड़ा त्‍योहार (Sikh Festival) माना जाता है। सिख धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2021) मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व (Prakash parv), गुरु पर्व (Guru Parv), गुरु पूरब (Guru Gurpurab) भी कहते हैं। इस साल 19 नवंबर को गुरुनानक जयंती मनाया जाएगा। गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी (Guru nanak ji) का जन्म हुआ था। गरु नानक देव जी के जन्‍म दिन के अवसर पर इस दिन भजन कीर्तन करने की परंपरा है। इन दिनों गुरु द्वारे में खास रौनक देखने को मिलती है और घर घर सिख वाहेगुरु का जाप करते हैं।

    जान लें कि गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev) ने समाज में व्याप्त बुराइयों और कुरीतियों को दूर करके लोगों के जीवन में प्रकाश भर दिया इसीलिए उनके जन्मदिन को प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के रूप में हर साल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

    गुरु नानक जयंती का इतिहास
    सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई. को हुआ था। गुरु नानक देव का जन्म भोई की तलवंडी जिसे राय भोई दी तलवंडी भी कहते हैं, स्थान पर हुआ था। हालांकि ये जगह अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ननकाना साहिब में है।

    अब इस जगह का नाम नानक देव के नाम से ही रखा गया था। यहां देश विदेश से लोग चर्चित गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) घूमने आते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। बता दें कि शेर-ए पंजाब के नाम से पहचाने जाने वाले सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने यह गुरुद्वारा ‘ननकाना साहिब’ बनवाया था।


    कौन थे गुरु नानक जी
    कहा जाता है कि गुरु नानक जी ने ही सिख समाज की नींव रखी थी। गुरुनानक देव सिख समुदाय के पहले गुरु भी औैर इस धर्म के संस्थापक भी। उन्हें नानक देव, बाबा नानक और नानकशाह के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं, उन्‍हें लद्दाख और तिब्बत क्षेत्र में नानक लामा भी कहा जाता है। गुरु नानक देव भारत के अलावा अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी उपदेश दिया। उनकी शादी 16 साल की आयु में सुलक्खनी नाम की युवती से शादी हुई और उनके दो बेटे श्रीचंद और लखमीदास हुए। 1539 ई. में पाकिस्‍तान एरिया करतारपुर में उनकी मृत्यु हुई।

    अपनी मृत्यु से पहले ही गुरु नानक जी ने अपना उत्तराधिकार अपने शिष्य भाई लहना के नाम घोषणा किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम के नाम से जाने गए। गुरु अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु माने गए।बता दें कि गुरु नानक देव अपनी जिंदगी मानव समाज के कल्याण में लगा दी थी।

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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