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कब है गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व कथा

November 01, 2021

हिंदु धर्म में धार्मिक पर्व का विशेष महत्‍व है। दिवाली के अगले दिन हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2021) का विधान है। गोवर्धन पूजा में पशु धन की पूजा (PashuDhan Puja) की जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा 5 नवंबर, शुक्रवार (Govardhan Puja, 5, November) के दिन पड़ रही है। इतना ही नहीं गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (Annakut Puja) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग (Shri Krishna 56 Bhog) लगाया जाता है। साथ ही और भी कई परंपराएं इस त्योहार से जुड़ी हुई हैं। पौराणिक कथा के अनुसार गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है। मान्यता है कि श्री कृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। इससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई और इंद्रदेव का घंमड टूट गया। तभी से इस दिन को गोवर्धन के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त (Govardhan Puja Muhurat 2021)
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 7.59 से लेकर 10.47 तक होगा।

गोवर्धन पूजन विधि (Govardhan Pujan Vidhi 2021)
– कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद ही स्नान करना चाहिए।

– इसके बाद घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं। और पर्वत के बीच में या उसके पास भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखें।

– अब गोबर से बनाए गए गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के पकवानों और मिठाइयों का भोग लगाएं।

– इतना ही नहीं, इस दिन देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। इसके बाद कथा सुनें और आसपास लोगों को सुनाएं। प्रसाद के रूप में दही-चीनी का मिश्रण लोगों में बांटे।

– पूजा और भोग के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करें। इतना ही नहीं, इस दिन गौधन की पूजा का विधान है।


इसलिए की जाती है गोवर्धन पर्वत की पूजा… (Govardhan Katha)
– एक बार गांवों वालों को इंद्र देवता की पूजा करते देख भगवान श्री कृष्ण ने पूजा करते देखा तो इसका कारण पूछा। तब गांव वालों ने बताया कि वे वर्षा करते हैं, जिससे अन्न पैदा होता है और उसी से हमारा भरण-पोषण होता है।

– गांव वालों को ऐसा करते देख श्री कृष्ण बोले की इंद्र देव से ज्यादा शक्तिशाली हमारा गोवर्धन पर्वत है। जिस कारण वर्षा होती है। और हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। श्री कृष्ण की ये बात सुनकर वे गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे।

– गांव वालों को पर्वत की पूजा करते देख इंद्र देव क्रोधित हो गए। और मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। इंद्र देव के प्रकोप से डरकर सभी लोग श्रीकृष्ण की शरण में गए। उस समय श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी उंगली पर उठाकर छाते-सा तान दिया और गोकुलवासियों को उसी की छाया में रहकर बचा लिया।

– श्री कृष्ण का ये चमत्कार देख इंद्रदेव भी चकित हो गए। इसके बाद इंद्र ने आकर श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। उसी समय से ये त्योहार हर साल दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।

श्री कृष्ण ने दी इस घटना से सीख
इस घटना के माध्यम से श्री कृष्ण (Sri Krishna) ने बताया है कि भ्रष्टाचार बढ़ाने में दो पक्षों का हाथ होता है। एक कर्तव्यों के पालन के लिए अनुचित लाभ की मांग करता है, दूसरा जो ऐसी मांगों पर बिना विचार और विरोध के लाभ पहुंचाने का काम करता है। माना इंद्र देव (rain god) मेघों के राजा हैं, लेकिन वर्षा करना उनका कर्तव्य है। और वर्षा के लिए उनकी पूजा करना या यज्ञ करना उचित नहीं। श्री कृष्ण के अनुसार अनुचित मांगों पर विरोध जरूरी है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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