नई दिल्ली. हवाई सुरक्षा और हमले की तकनीक (Technique) लगातार बदल रही है. फाइटर जेट से दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने की युद्धकला धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. देश में बैठे-बैठे दुश्मन के बंकर, हथियार डिपो, पावर प्लांट आदि जहां चाहो ड्रोन से हमला कर दो. भारत में ऐसी तकनीक विकसित हो रही है. एक ऐसा हवाई हथियार (aerial weapon) तैयार हो रहा है, दूसरे की योजना बन रही है. आज आपको दोनों हथियारों के बारे में बताएंगे कि कैसे भारत का ‘फूफा’ (FUFA) जब दुश्मन के आसमान में गरजेगा और बरसेगा…तो उनकी हालत पस्त हो जाएगी.
भारतीय रक्षा एवं अनुसंधान संगठन (DRDO) की संस्था एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (ADE) ने हाल ही में एक टेंडर निकाला. जिसमें कहा गया था कि ऐसे विंड टनल मॉडल की सप्लाई करनी है, जिसकी IIT कानपुर में मौजूद नेशनल टनल टेस्ट फैसिलिटी में टेस्टिंग होगी. ये टनल इसलिए बनवाया जा रहा है ताकि इसके अंदर भारत के फूफा (FUFA) की टेस्टिंग हो सके. आखिर देश का ये फूफा है क्या चीज?
फूफा (FUFA) माने फ्यूचरिस्टिक अनमैन्ड फाइटर एयरक्राफ्ट (Futuristic Unmanned Fighter Aircraft). यह भविष्य का ऐसा फाइटर जेट होगा जो दुश्मन को चैन की नींद नहीं सोने देगा. इसके लिए टनल की मांग उठने से यह पता चलता है कि भारत स्टेल्थ विंग फ्लाइंग (SWF) के मामले में तेजी से काम करना चाह रहा है. भारतीय मानवरहित स्ट्राइक एयर व्हीकल (IUSAV) बनाने की तैयारी चल रही है.
फूफा (FUFA) के जरिए भारत चार तरह के बड़े काम कर पाएगा. पहला- स्ट्रैटेजिक ऑफेंसिव, दूसरा- क्लोज एयर सपोर्ट (CAS), तीसरा- मिसाइल ऑफेंसिव, चौथा- दुश्मन की हवाई सुरक्षा को भेदना (SEAD) और दुश्मन की हवाई सुरक्षा को खत्म करना (DEAD). इन चारों कामों के जरिए भारत किसी भी दुश्मन की हालत पस्त कर सकता है.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ऐसी ही ऑटोनॉमस मानवरहित एरियल व्हीकल CATS वॉरियर पर काम कर रही है. यह अन्य लड़ाकू विमानों के सपोर्ट में साथ में आसमान में उड़ेगा. इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 2100 किलोग्राम होगा. लेकिन इसके भविष्य के स्वरूप फूफा (FUFA) का टेकऑफ वजन 5500 किलोग्राम होगा. यह 1500 किलोग्राम का पेलोड ले जाएगा. यानी यह CATS वॉरियर से बड़ा होगा.
इसके अलावा, भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार बना रहा है, उसका परीक्षण भी कर चुका है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था. इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं.
भारत के एचएसटीडीवी (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं. या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है.
रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा. इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से जागा जा सकेगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह मिसाइल अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी.
भारत का यह पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल होगा. फिलहाल यह कॉन्सेप्ट के स्तर पर है. उम्मीद जताई जा रही है कि यह मैक-5 यानी करीब 4000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा. भारत सरकार के साथ एक निजी कंपनी मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इसका आधिकारिक नाम HGV-202F रखा गया है. इसके डिजायन की तस्वीर सामने नहीं आई है.
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