नई दिल्ली: पिछले सप्ताह यूरोपीय यूनियन (European Union) की एक बैठक हुई, जिसमें सभी यूरोपीय देशों ने मिलकर एक ऐसा निर्णय लिया, जिससे आने वाले दिनों में चीन (China) की अर्थव्यवथा पर बुरा असर पड़ना तय है. दरअसल, EU की तरफ से बताया गया कि अब चीन से इम्पोर्ट होकर आने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) पर 38.1 प्रतिशत का अतिरिक्त टैक्स (Tax) लगाया जाएगा. इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में चीनी ईवी की यूरोपी में बिक्री में भारी गिरावट आना तय है. घरेलू बाजारों (Domestic Markets) को मजबूत करने के लिए अपनी पहल के तहत यह कदम उठाया गया है. EU के सभी सदस्य देश जहां चीन पर नकेल कसने के इस कदम से खुश है. वहीं, दूसरी तरफ यूरोप का एक देश ऐसा भी है जो इसके खिलाफ खड़ा हो गया है.
यूरोपीय यूनियन में जब चीन में बनी ईवी पर टैक्स लगाने के लिए वोटिंग हो रही थी, तब जर्मनी ने इसका काफी विरोध किया. हालांकि बहुमत नहीं होने के कारण वो चाहकर भी इसमें कुछ नहीं कर पाया. मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जर्मनी को चीनी ईवी से इतना प्यार क्यों है. चलिए हम आपको इसके बारे में विस्तार में बताते हैं. दरअसल, जर्मनी की बड़ी ओटो-मोबाइल कंपनी जैसे बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज-बेंज और वोक्सवैगन सभी पहले से सेल में भारी कमी आने से जूझ रही हैं. उनका मानना है कि EU के इस कदम से सेल पर और बुरा असर पड़ना तय है क्योंकि इन सभी के प्लांट चीन में ही हैं.
जर्मनी (Germany) को डर है कि चीन इस एक्शन के बाद चुप बैठने वाला नहीं है. जब यूरोप की तरफ से चीन में बनने वाली ईवी पर 45 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया गया है तो वो भी यूरोप से आने वाले उत्पादों पर इसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो सबसे पहला नुकसान जर्मनी को ही होगा. इसके अलावा जर्मनी की तरफ से ईयू के इस कदम को कंपटीशन विरोधी बताया गया है. ऐसा करने से बाजार में ईवी कंपनी के बीच प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी. वहीं, यूरोपीय यूनियन का कहना है कि लोकल बाजारों को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
भारतीय कंपनियां (Indian Companies) बहुत तेजी से ईवी के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिद्रा से लेकर बजाज ऑटो, ओला इलेक्टिक सहित तमाम ऐसी कंपनियां हैं जो लंबे वक्त से ईवी के क्षेत्र में काम कर रही हैं. ऐसे में चीन के बाजार बंद होने से आने वाले वक्त में भारतीय बाजरों को यहां हाथ आजमाने का मौका मिल सकता है. मोदी सरकार भी प्रदूषण कम करने और कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने की अपनी पहल के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को काफी प्रमोट कर रही है.
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