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भगवान श्री कृष्‍ण ने कब त्‍यागे थे अपने प्राण, जानें कौन सी थी वो जगह ?

August 30, 2021

महाभारत (Mahabharata) के खत्म होने के बाद धृतराष्ट्र का वंश खत्म हो चुका था। उनके सभी 100 पुत्र महाभारत में मारे गए थे। युद्ध खत्म होने के बाद जब भगवान कृष्ण (Lord Krishna) गांधारी से मिलने गए तो वो पुत्र शोक में दुखी थीं। उन्हें लगता था कि अगर कृष्ण चाहते तो ये सब रुक सकता था और उनके पुत्र जीवित रहते। कृष्ण के सामने आने पर वह नाराज हो गईं। उन्होंने श्राप दिया कि जिस तरह मेरे पुत्र नहीं रहे उसी तरह तुम्हारे वंश का भी नाश हो जाएगा।

महाभारत खत्म होने के बाद गांधारी के श्राप का असर नजर आने लगा। यदुवंशी आपस में लड़ने लगे। एक दूसरे की जान लेने लगे। भगवान कृष्ण को भी इस श्राप का शिकार होना ही था। वो ये जानते भी थे। युद्ध के 36 साल बाद वो द्वारिका से दूर एक वन में गए थे। वहां वो जब एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे। तभी एक शिकारी ने उन्हें हिरण समझकर उन पर तीर चला दिया। जो उनके बायें पैर में लगा।

तब कृष्ण अकेले ही थे। शिकारी (Hunter) जब वहां पहुंचा और कृष्ण को तीर लगा देख पश्चाताप करने लगा तो कृष्ण ने कहा, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। त्रेतायुग में मैं राम था और तुम बाली। तब मेरे कारण तुम्हारी जान गई थी। उसी वजह से तुमने मुझे तीर मारा और इससे मेरी मृत्यु होगी। ये कहते हुए कृष्ण ने प्राण छोड़ दिए। ये जगह तब एक वन थी। लेकिन बाद में इसे कृष्ण के प्राण त्यागने वाली जगह के तौर पर जाना गया।

इस जगह का नाम भालका तीर्थ है। ये जगह सौराष्ट्र के वेरावल में है, जो गुजरात में पश्चिमी समुद्र तट पर है। जिस जगह पर भगवान कृष्ण ने अपने प्राण छोड़े थे, वहां भालका तीर्थ नाम से एक मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर के पीछे भी ये कहानी है कि जिस जारा नाम के शिकारी के तीर ने उनके प्राण लिए, वो यहीं आराधना करने लगा। बाद में यहां एक मंदिर बनाया गया।



भालका तीर्थ सोमनाथ मंदिर के करीब ही है। आमतौर पर जो भी लोग सोमनाथ मंदिर आते हैं, वो इस जगह के दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि यहां भीड़ कम होती है। मंदिर के करीब लगा बोर्ड बताता है कि ये वही जगह है जहां कृष्ण की मृत्यु हुई। उनकी मृत्यु के साथ युग भी बदल गया। द्वापर युग खत्म हो गया और कलियुग शुरू हो गया। उनकी मृत्यु का दिन ईसापूर्व 17 फरवरी 3102 बताया जाता है।

भालका तीर्थ सोमनाथ (Somnath Temple) से केवल 04 किलोमीटर दूर है। सरकार इसे और विकसित करके बड़ा पर्यटन केंद्र बनाने पर विचार कर रही है। ये जगह रेल और सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह कनेक्टेड है।

भगवान कृष्ण का जन्म 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात में 8वें मुहूर्त में आधी रात को हुआ था। उनके जन्म का साल 3112 ईसा पूर्व बताया जाता है। उनके जन्म के अनुसार महाभारत का युद्ध 3000 ई° पूर्व में हुआ होगा जो पुराणों की गणना में सटीक बैठता है।

माना जाता है कि जिस समय उनकी मृत्यु हुई, उस वक्त उनकी उम्र करीब 119 वर्ष के आसपास थी। हालांकि इसे लेकर अलग-अलग धारणा हैं। विष्णुपुराण के अनुसार उनकी मृत्यु 125वें साल में हुई। जिस समय महाभारत हुआ, तब वो 89 वर्ष के थे। जब महाभारत का युद्ध हुआ, तब ये माना जाता है कि अर्जुन 55, कृष्ण 83 और भीष्म कम से कम 150 वर्ष के थे।

नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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