नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का 22 अक्टूबर को 59वां जन्मदिन (birthday) है। केंद्रीय सत्ता पर BJP की वापसी में अहम भूमिका निभाने वाले शाह पार्टी के ‘चाणक्य’ के रूप में भी जाने जाते हैं। लंबे समय तक पीएम मोदी (PM Modi) के करीबी सहायक रहे शाह शतरंज के शौकीन हैं। शाह के करीबी लोग मानते हैं कि वह शतरंज खेलते समय हर चाल को समय के मुताबिक चलते हैं तांकि प्रतिद्वंदी का अधिकतम नुकसान हो सके। उनकी टिपिकल कार्यशैली ही उन्हें बांकी नेताओं से अलग करती है।
जब दिल्ली में लिया किराए का घर
‘अमित शाह और भाजपा की यात्रा’ नाम की पुस्तक में लेखक अनिर्बान गांगुली और शिवानंद द्विवेदी बताते हैं कि जब 2012 में भारी बहुमत के साथ गुजरात में बीजेपी की सरकार बनी तो शाह खुद नारनपुरा सीट से लगातार पांचवी बार विधायक बने। लेखक लिखते हैं, ‘शाह को गुजरात या दिल्ली चुनने की आजादगी थी और शाह ने दिल्ली चुना। अमित शाह ने दिल्ली के जंगपुरा में तीन कमरा को एक घर किराए पर लिया और वहां रहने लगे।’ इस दौरान शाह मुकदमों की पैरवी के सिलसिले में वकीलों से मिलते, अध्ययन करते थे देश का भ्रमण करते थे। उनके पास ना तो तब सरकार में दायित्व था ना ही बीजेपी में।
मठों में गुजारी रात
शाह के राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा बदलाव तब आया उन्हें 2014 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर यूपी का प्रभार सौंप दिया गया। इस दौरान शाह ने कैसी रणनीति बनाई और किस तरह हर सीट का दौरा किया ये किसी से छिपा नहीं है। पूरे देश में यूपी से बीजेपी को सर्वाधिक सीट मिली और भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी जीत में यूपी ने अहम किरदार निभाया और इसका सारा श्रेय गया अमित शाह को गया। जब सोहराबुद्दीन शेख की कथित फर्जी मुठभेड़ में कोर्ट ने उन्हें गुजरात से बाहर रहने का निर्देश दिया तो शाह ने इस दौरान (2010-0212) में यूपी का बारीकी से अध्ययन किया और राज्य की यात्रा के दौरान मठों आश्रमों में रात बिताई तथा समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संवाद किया।
वनस्पति गोदाम को बनाया ठिकाना
‘अमित शाह और भाजपा की यात्रा’ में लेखक 2015 के यूपी चुनाव का एक दिलचस्प वाकया साझा करते हुए लिखते हैं, ‘शाह ने अमेठी के जगदीशपुर में संगठन की एक आकस्मिक बैठक बुलाई जो डालडा फैक्ट्री के गोदाम में बुलाई गई थी। यह बैठक रात दो बजे तक चली थी। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने यह सोचकर शाह के रूकने की व्यवस्था नहीं कराई कि शायद वो बैठक के बाद चले जाएंगे.. बैठक के बाद जब जब सभी पदाधिकारी लखनऊ लौटने लगे तो पता चला कि भाजपा अध्यक्ष शाह के रूकने की तो कोई व्यवस्था ही नहीं है। रात काफी हो चुकी थी तो शाह ने उसी गोदाम में रूकने का निश्चय किया। वो छत पर गए और रात्रि विश्राम के लिए जगह तलाशने लगे। डालडा फैक्ट्री के एक अव्यवस्थित कमरे में उन्होंने पूरी रात गुजारी।’ इसके बाद जैसे ही कई कार्यकर्ताओं को यह बाद पता चली तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष इतनी सादगी से पूरी रात गुजार सकता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved