इंदौर। शहर में सस्ते सफर का पर्याय बनते जा रहे ई-रिक्शा की सवारी मिलना कल से मुश्किल होगा। कल से शहर के सात हजार ई-रिक्शा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरेंगे। प्रशासन द्वारा ई-रिक्शा के रूट्स तय किए जाने और कई क्षेत्रों में प्रवेश पर रोक लगाने जैसी योजनाओं के विरोध में ई-रिक्शा चालकों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। पहले ई-रिक्शा चालकों ने 21 से 23 फरवरी तक हड़ताल की बात कही थी, लेकिन कल हुई बैठक में सभी ने 21 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे विरोध करते रहेंगे। ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि शासन द्वारा ई-रिक्शा को परमिट से छूट दी है, इसका मतलब है कि वे किसी भी रूट पर चलने के लिए बाध्य नहीं हैं, साथ ही केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाहती है।
ऐसे में कैसे जिला प्रशासन इंदौर में ई-रिक्शाओं का रूट तय करते हुए उन्हें सिर्फ 23 तय मार्गों पर चलने के लिए बाध्य कर सकता हैं। उन्होंने ये भी कहा कि रूट तय करने से पहले ई-रिक्शा चालकों से उनकी राय तक नहीं ली गई। जो रूट तय किए गए हैं, उन पर कहीं भी ई-रिक्शा के लिए स्टैंड भी नहीं है। एक रूट पर 300 से 400 ई-रिक्शा चलाने की योजना है। ऐसे में सवारी के लिए संघर्ष की स्थिति बनेगी। उन्होंने मांग की कि पहले ई-रिक्शा चालकों को विश्वास में लेकर निर्णय लें, उनकी सहमति से रूट और व्यवस्थाएं तय करें। नए ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाएं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन सबसे ज्यादा ट्रैफिक बिगाडऩे वाली सिटी बसों को राजबाड़ा पर प्रवेश दे सकता है, लेकिन छोटी ई-रिक्शा पर रोक की तैयारी है, यह खुलेआम भेदभाव है। कल से सभी ई-रिक्शा चालक अपने रिक्शा चिमनबाग मैदान पर खड़े करते हुए विरोध करेंगे और तब तक काम पर नहीं लौटेंगे, जब तक प्रशासन उनकी मांगे नहीं मानता है।
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