नई दिल्ली । कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) ने गुरुवार को कहा कि इस साल गेहूं का उत्पादन (production of wheat) लगभग 3% घटकर 106 मिलियन टन हो जाएगा। भारत (India) के गेहूं उत्पादन में 2014-15 के बाद पहली गिरावट देखी गई है। सरकार ने कहा कि उत्पादन में गिरावट के लिए असामान्य गर्म मौसम को जिम्मेदार है। फसल वर्ष 2020-21 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 109 मिलियन टन रहा था।
फरवरी में, सरकार ने 111 मिलियन टन से अधिक के रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था। एक पखवाड़े पहले, खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने संवाददाताओं से कहा था कि गर्मी की शुरुआत के कारण उत्पादन घटकर 105 मिलियन टन तक रह सकता है। पिछली बार जब गेहूं उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई थी तो उसके पीछे सूखे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
भारत और कुछ अन्य देशों में कम उत्पादन व यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर अनाज की वैश्विक सप्लाई संकट में है। संकट से निपटने के लिए भारत ने हाल ही में गेहूं निर्यात पर बैन लगा दिया था। इन तमाम कारणों के चलते अंतरराष्ट्रीय गेहूं की कीमतें आसमान पर हैं। हालांकि, केंद्र ने कहा है कि देश में पर्याप्त स्टॉक है, जो घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए बफर आवश्यकता से काफी अधिक है।
सरकार ने कहा कि गेहूं के उत्पादन में गिरावट ने कुल खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित नहीं किया है, जो अभी भी 314 मिलियन टन का सर्वकालिक उच्च स्तर होगा, जो 2020-21 के फसल वर्ष की तुलना में 1% अधिक है। चालू फसल वर्ष (जुलाई-जून चक्र) में धान, मक्का और दलहन जैसी अन्य प्रमुख फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन में मदद मिली है।
मंत्रालय ने गुरुवार को फसल वर्ष 2021-22 के लिए खाद्यान्न, तिलहन, गन्ना, कपास और जूट के उत्पादन का तीसरा अनुमान जारी किया। तीसरे अनुमान आमतौर पर अंतिम आंकड़ों के काफी करीब होते हैं जो बाद में जारी किए जाएंगे।
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