नई दिल्ली। मेसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप (messaging platform whatsapp) में यूजर्स को ढेरों फीचर्स मिलते हैं, जिनसे चैटिंग और मैसेजिंग (Chatting & Messaging) अनुभव बेहतर बनाया जाता है लेकिन ज्यादा फीचर्स के लालच में ढेरों यूजर्स क्लोन्ड या थर्ड-पार्टी व्हाट्सऐप (Cloned or third-party WhatsApp) वर्जन इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इन क्लोन्ड ऐप्स के इस्तेमाल का मतलब अपनी प्राइवेसी से समझौता करना है। नई रिपोर्ट में क्लोन्ड व्हाट्सऐप वर्जन की मदद से यूजर्स के ऑडियो और वीडियो रिकॉर्ड करने का मामला सामने आया है।
साइबर-सुरक्षा कंपनी ESET ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि व्हाट्सऐप के थर्ड-पार्टी, क्लोन्ड और अनाधिकारिक वर्जन स्पाईवेयर इस्तेमाल कर रहे हैं। ‘GB Whatsapp’ नाम के लोकप्रिय लेकिन क्लोन्ड थर्ड-पार्टी व्हाट्सऐप वर्जन की मदद से ना सिर्फ यूजर्स के चैट्स बल्कि उनकी वॉइस और वीडियो कॉल्स की जासूसी भी की जा रही है। यूजर्स को फौरन इस ऐप का इस्तेमाल बंद करने की सलाह दी गई है।
असली ऐप में छेड़छाड़ कर बनाती हैं क्लोन्ड ऐप्स
क्लोन्ड ऐप्स में यूजर्स को कुछ ऐसे फीचर्स मिलते हैं, जो आधिकारिक ऐप में नहीं मिलते। उदाहरण के लिए, GB Whatsapp यूजर्स डिलीट किए जाने के बाद भी कोई मेसेज पढ़ सकते हैं। इसके अलावा बिना यूजर को पता चले उसका स्टेटस देखने का विकल्प भी मिलता है। ऐसे फीचर्स आधिकारिक ऐप के कोड में बदलाव और इससे छेड़छाड़ कर दिए जाते हैं। यही वजह है कि क्लोन्ड ऐप्स का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं होता।
आपके अकाउंट पर प्रतिबंध लगा सकता है व्हाट्सऐप
व्हाट्सऐप ने अपने सपोर्ट पेज पर साफ किया है कि इस तरह की क्लोन्ड ऐप्स इस्तेमाल करने वाले यूजर्स पर कार्रवाई की जा सकती है। अगर आप आधिकारिक ऐप के अलावा इसका कोई वर्जन इस्तेमाल कर रहे हैं, तो अकाउंट पर परमानेंट बैन तक लगाया जा सकता है। ध्यान रहे कि आप गूगल प्ले स्टोर या ऐप्स ऐप स्टोर से ही आधिकारिक व्हाट्सऐप वर्जन इंस्टॉल करें और इसे लेटेस्ट वर्जन पर अपडेट रखें।
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