नमाज पढऩे गए थे… रोजे गले पड़े… रहवासियों को भारी पड़ी होशियारी
इंदौर। नमाज पढऩे गए थे… रोजे गले पड़ गए… की कहावत प्रगति विहार के रहवासियों पर चरितार्थ हो गई। उनकी होशियारी हाईकोर्ट में ही भारी पड़ गई, जब 10 पेज की जांच रिपोर्ट जो प्रशासन ने सौंपी, उसमें प्रगति विहार (Pragati Vihar) को अवैध घोषित कर दिया। इस जांच रिपोर्ट की सुनवाई कल हाईकोर्ट ने की और शासन-प्रशासन से पूछा कि अब इस पर क्या कार्रवाई की जाएगी..?
प्रगति विहार में बनाए गए अवैध गेट और रास्ते को लेकर अभिभाषक रविन्द्रसिंह छाबड़ा (Ravindra Singh Chhabra) ने याचिका दायर की थी, उसके बाद हाईकोर्ट निर्देश पर पिछले दिनों प्रशासन ने अवैध गेट तोड़ दिए और रास्ते भी खुलवा दिए। इसी बीच भूमाफिया मुहिम शुरू हो गई और प्रगति विहार काटने वाले सुरेन्द्र संघवी (Surendra Sanghvi) के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो गई। इधर हाईकोर्ट ने रहवासी संघ की ओर से ओपी गोयल इंटरविनर बने और उन्होंने यह कह दिया कि रास्ते निजी हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे नहीं माना और हाईपॉवर कमेटी गठित कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। लिहाजा कलेक्टर, निगमायुक्त और नगर तथा ग्राम निवेश की कमेटी ने 10 पेज के अपने एक प्रतिवेदन में स्पष्ट कहा कि प्रगति विहार अवैध है, जिसकी किसी सक्षम प्राधिकारी से अनुमति नहीं ली गई। अब कल हाईकोर्ट ने इस प्रतिवेदन के आधार पर शासन-प्रशासन से पूछा कि वह 15 दिन में बताए कि इस रिपोर्ट के आधार पर कब और क्या कार्रवाई की जाना है। याचिकाकर्ता के साथ-साथ इंटरविनर को भी जवाब पेश करने को कहा गया है। वहीं इटंरविनर की ओर से यह भी कहने के प्रयास हाईकोर्ट में किए गए कि याचिका सिर्फ सडक़ और गेट के मुद्दे पर ही लगाई गई थी, जिसमें अन्य बातें शामिल नहीं होना चाहिए, लेकिन हाईकोर्ट ने फिलहाल यह दलील नहीं मानी। यानी रहवासी अपनी होशियारी के कारण खुद ही उलझ गए और प्रगति विहार अवैध घोषित हो गई।
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