नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा 21 जून से शुरू हो रहा है। पीएम मोदी का ये दौरा कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है। भारत और अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया की नजर इस दौरे पर टिकी है। उधर, पाकिस्तान और चीन के खेमें में हलचल भी है। दोनों देश परेशान नजर आ रहे हैं। खैर, सवाल ये उठता है कि आखिर पीएम मोदी के इस दौरे से भारत को क्या-क्या मिलेगा? पाकिस्तान और चीन मोदी के अमेरिका दौरे से क्यों परेशान है? आइए समझते हैं…
पहले पीएम के कार्यक्रम के बारे में जान लीजिए
इस दौरे से भारत को क्या-क्या मिलेगा?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने इसके बारे में विस्तार से बताया।
1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी ताकत : दुनिया के बड़े देशों में अभी भारत ही ऐसा देश है, जो पूरी तरह से गुट निरपेक्ष है। मतलब किसी भी गुट में शामिल नहीं है। इसके बावजूद हर गुट का पसंदीदा देश बना हुआ है। भारत के रूस से भी अच्छे रिश्ते हैं और अमेरिका से भी। भारत तेजी से वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। ऐसे में पीएम मोदी राजकीय दौरे पर अमेरिका जा रहे हैं। राजकीय दौरा इसलिए अहम होता है क्योंकि इसका पूरा खर्च मेजबान देश ही करता है। पीएम मोदी 21 जून को योग दिवस के जरिए भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रसार पूरी दुनिया में करेंगे। इसके बाद वह जो बाइडेन के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में भारत और अमेरिका के बीच कई रणनीतिक साझेदारी भी होगी। डिजिटल इकॉनमी, अंतरिक्ष मिशन, रक्षा, व्यापार समेत कई बिंदुओं पर दोनों देशों के बीच समझौते होंगे। इससे साफ है कि भारत की ताकत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ेगी। रक्षा उत्पादों की खरीदारी को लेकर भी दोनों देशों के बीच डील हो सकती है।
2. हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को लेकर: पश्चिमी देशों से एशिया को प्रशांत क्षेत्र ही जोड़ता है। यहां 50 से ज्यादा छोटे देश और आईलैंड हैं। इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के तहत पापुआ न्यू गिनी के करीब सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौता किया था, जिसके बाद चीन ने राजधानी होनियारा में बंदरगाह बनाने का एक अनुबंध हासिल किया।
चीन के इस कदम को देखते हुए पापुआ न्यू गिनी बीजिंग की ओर झुकाव दिखा रहा है, जो क्वाड समूह के देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बड़ी चिंता है। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने साल 2022 में बैंकॉक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग से मुलाकात की थी, जिसके बाद बीजिंग ने कहा था कि चीन और पापुआ न्यू गिनी दोनों अच्छे दोस्त हैं।
अब पश्चिमी देशों ने हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों को एकजुट करने के लिए भारत को आगे किया है। भारतीय पीएम मोदी इसे बखूबी कर भी रहे हैं। पिछले दिनों जब पीएम मोदी पापुआ न्यू गिनी पहुंचे थे, तो वहां के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी के पैर छूकर उनका अभिवादन किया था। इसके अलावा भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड को-ऑपरेशन यानी FIPIC में शामिल हुए।
इसके जरिए उन्होंने हिंद क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदम को रोकने की दिशा में पहला और बड़ा कदम बढ़ाया। जिस तरह से प्रशांत क्षेत्र में बसे देश और आईलैंड्स ने पीएम मोदी का स्वागत किया, वो भी बड़ा कूटनीतिक संदेश दे रहा है। अब अमेरिकी दौरे के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच इस मसले पर भी बातचीत होगी। अमेरिका चाहता है कि पीएम मोदी प्रशांत महासागर क्षेत्र के साथ-साथ अन्य एशियाई देशों को एकजुट करें और उसका नेतृत्व करें। इससे चीन का प्रभाव कम हो सकता है।
3. बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना : पीएम मोदी अपने इस दौरे के दौरान अमेरिका के कई बड़े उद्योगपतियों के साथ मुलाकात करेंगे। कारोबारियों से मुलाकात के दौरान भारत में निवेश को लेकर भी बातचीत होगी। बताया जाता है कि इस दौरान माइक्रॉन टेक्नोलॉजी एक अरब डॉलर से अधिक के निवेश का एलान कर सकता है।
चीन और पाकिस्तान क्यों चिंतित?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, ‘दुनिया में भारत की बढ़ती धमक से चीन और पाकिस्तान पहले से ही परेशान हैं। एक तरफ पाकिस्तान में कई तरह की समस्याएं हैं तो दूसरी ओर चीन भी लगातार विवादों में घिरा हुआ है। ऐसे समय में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे दोनों देश चिंतित हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर भारत का विकास हो जाएगा तो इससे दुनिया में उनकी अहमियत खत्म हो जाएगी।’
डॉ. आदित्य के अनुसार, ‘दोनों देश ये जानते कि एशिया में भारत के बढ़ने से उन्हें नुकसान होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत तेजी से एशियाई और हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों को अपने साथ जोड़ रहा है। अगर ऐसा हो जाता है तो इसका सीधा नुकसान चीन और पाकिस्ताान को होगा। ये दोनों देश कमजोर और अलग-थलग पड़ जाएंगे। इसके अलावा अमेरिका व पश्चिमी देशों की मदद से भारत उत्पाद के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है। भारत में कई चीजों का उत्पाद शुरू हो गया है, जिसके लिए पहले लोग चीन पर निर्भर रहा करते थे। अब चूंकि भारत में भी उत्पाद होने लगा है तो लोग चीन की बजाय भारत की तरफ देखने लगे हैं। इससे भारत की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है। उधर, चीन को इससे झटका महसूस हो रहा है।’
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