नई दिल्ली। संसद (Sansad) का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है। 22 सितंबर तक चलने वाले इस सत्र में पहले दिन को छोड़कर बाकी दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी। गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए भवन में कार्यवाही की शुरुआत होगी।
इसी साल 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। अब संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्रवाई नए संसद भवन में शुरू होने के साथ यह पुरानी इमारत का स्थान ले लेगी, जिसमें अब कई खामियां आ चुकी हैं। पुराने संसद भवन को एक स्थायी संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
जानते हैं कि आखिर नए और पुराने संसद भवन में क्या अंतर है? नए भवन में क्या-क्या खास है? नए संसद भवन की शुरुआत के बाद पुराने संसद भवन का क्या होगा?
नए और पुराने संसद भवन में क्या है अंतर?
बैठक व्यवस्था: पुरानी इमारत में लोकसभा और राज्यसभा में क्रमशः 550 और 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। इसकी तुलना में नए भवन में लोकसभा में 888 सांसदों और राज्यसभा में 384 सदस्यों को समायोजित करने की क्षमता होगी। दरअसल, वर्तमान भवन को द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 से कभी नहीं बदली। हालांकि, 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने का अनुमान है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर स्थिरता केवल 2026 तक ही है। बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है। आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।
सेंट्रल हॉल: नए भवन में मौजूदा संसद भवन की तरह सेंट्रल हॉल नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। अब संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा कक्ष का उपयोग किया जाएगा।
पुराने संसद भवन का क्या होगा?
नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। दरअसल, नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 3.2 किमी लंबे क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। इस वक्त सेंट्रल विस्टा के अंदर राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रेल भवन, वायु भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज, जवाहर भवन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उपराष्ट्रपति का घर, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल और बीकानेर हाउस आते हैं।
वहीं विस्टा के पूरे क्षेत्र को नए सिरे से विकसित करने के प्रोजेक्ट का नाम सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है। इसमें मौजूदा कुछ इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा तो कुछ को किसी और काम में इस्तेमाल किया जाएगा, कुछ को रिनोवेट किया जाएगा तो कुछ को गिराकर उनकी जगह नई इमारतें बनाई जाएंगी। सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा नई संसद भवन का निर्माण पूरा होने के बाद इसका उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। केंद्र के मुताबिक, संसद की मौजूदा इमारत को पुरातात्विक धरोहर में बदल दिया जाएगा।
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