नई दिल्ली (New Delhi)। बिहार (Bihar) के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिवंगत नेता सुशील कुमार मोदी (crying, statues, miracles, Catholic Church, history) ने पिछले साल राहुल गांधी पर ‘मोदी सरनेम’ (‘Modi surname’) केस दर्ज करवाया था. राहुल के खिलाफ यह मानहानि मुकदमा कथित तौर पर कर्नाटक के कोलार में चुनाव प्रचार के दौरान की स्पीच पर किया गया था. अप्रैल 2023 में पटना हाई कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों के संबंध में यहां एक ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने दो साल जेल की सजा सुनाई थी, जहां बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने एक बयान पर उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था. हालांकि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी.
सुशील मोदी के मामले में पटना हाई कोर्ट द्वारा लगाया गया स्टे इस साल 15 मई तक था. सुशील मोदी के निधन के साथ, यह सवाल भी उठता है कि राहुल के खिलाफ उनके मामले का क्या होगा. हमने इस संबंध में वकीलों से बात की और उनके मुातबिक, अगर सुशील मोदी के कानूनी उत्तराधिकारी चाहें तो मामले को आगे बढ़ा सकते हैं.
भारत में अगर शिकायतकर्ता की मृत्यु हो जाती है, तो आम तौर पर मानहानि का मामला खुद खत्म नहीं होता है. शिकायतकर्ता के कानूनी प्रतिनिधि या परिवार के सदस्य के स्थान पर कानूनी कार्यवाही जारी रह सकती है. अगर शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है, तो कोर्ट मामले को खारिज कर सकती है.
मानहानि के मामले को एक शिकायत मामले के रूप में चलाया जाता है, यानी अभियोजन चलाने वाला कोई राज्य नहीं बल्कि शिकायतकर्ता होता है. शिकायतकर्ता की मौत पर, अगर उसने अपने खिलाफ मानहानि की शिकायत की है, तो मुकदमा न चलाए जाने पर शिकायत अपनी मौत मर सकती है.
हालांकि, एक और स्थिति यह होगी कि शिकायतकर्ता के उत्तराधिकारी मामले को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो इस मामले में एक आपराधिक मानहानि का मामला है. वे IPC की धारा 499 के स्पष्टीकरण 1 का सहारा ले सकते हैं और कह सकते हैं कि लांछन से प्रतिष्ठा की हानि होती रहती है. वे प्रतिस्थापन की मांग कर सकते हैं और मामले को आगे बढ़ा सकते हैं.
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