होलाष्टक में 8 दिनों के दौरान नहीं होते मांगलिक कार्य
पंचांग (Panchang) के अनुसार इस वर्ष होलाष्टक (Holashtak) का आरंभ 22 मार्च से होने जा रहा है। इस दिन फाल्गुन मास (Phalgun Mass) की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान रहेगे। इस दिन आद्र्रा नक्षत्र रहेगा। अन्य ग्रहों की बात करें तो वृष राशि में राहू और मंगल, वृश्चिक राशि में केतु, मकर राशि में गुरु और शनि, कुंभ राशि में बुध और मीन राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान रहेंगे। होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक होलिका दहन से 8 दिन पूर्व आरंभ होता है।
मान्यता के अनुसार, होलाष्ठक के आठ दिनों में क्रमश: अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध एवं चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहू उग्र रूप लिए माने जाते हैं। तभी इन दिनों में विवाह, पुंसवन, नामकरण, चूड़ाकरन, विद्यारंभ, गृहप्रवेश व निर्माण, अनुष्ठान आदि अशुभ माने गए हैं।
होलाष्टक का समापन
होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन होता है। इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा। रंगों की होली 29 मार्च को खेली जाएगी। फुलेरा दूज से होली का आरंभ माना जाता है। 15 मार्च को फुलेरा दूज का पर्व था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ फूलों से होली खेलते हैं। मथुरा (Mathura) और बृज में होली महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए
मान्यता के अनुसार होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं सूर्य के मीन राशि में प्रवेश के साथ खरमास का आरंभ हो चुका है। खरमास में मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता है। होलाष्टक के आठ दिनों तक शादी-विवाह जैसे कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही भूमि, भवन और वाहन आदि की भी खरीदारी को शुभ नहीं माना गया है।
होलाष्टक में क्या करना चाहिए
मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान पूजा-पाठ का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दौरान मौसम में तेजी बदलाव होता है, इसलिए अनुशासित दिनचर्या को अपनाने की सलाह दी जाती है। होलाष्टक में स्वच्छता और खान-पान का उचित ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। सामथ्र्य अनुसार दान-दक्षिणा भी देना चाहिए। साथ ही धार्मिक कार्यों में मन लगाना चाहिए।
होलाष्टक के दौरान करें उपाय
होलाष्टक होलिका दहन से 8 दिन पूर्व आरंभ होता है। होलाष्टक के दौरान इन आठ दिनों में ईश्वर की भक्ति करें। अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करें। व्रत-उपवास और धर्म-कर्म के कार्य करें। सामथ्र्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान करें।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved