भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Chief Minister Mohan Yadav) ने शुक्रवार को ‘जीरो बैलेंस’ बैंक खातों (‘Zero balance’ bank accounts) को लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री (Former Prime Minister) और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री (Famous Economist) डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) पर कटाक्ष किया है। मध्य प्रदेश आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन (Madhya Pradesh IAS Officers Association) की ‘सिविल सर्विस मीट-2024’ का उद्घाटन करते हुए यादव ने कहा कि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) गवर्नर, केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में अपने शानदार करियर के साथ-साथ कई शैक्षणिक डिग्री के बावजूद मनमोहन सिंह को इस बात की जानकारी नहीं थी कि ‘जीरो बैलेंस’ के साथ बैंक खाते खोले जा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का जिक्र करते हुए कहा, ‘लेकिन एक चायवाला इसके बारे में जानता था।’
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) को दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल के रूप में बताया जाता है, और यह देश के हर वयस्क के लिए जीरो-बैलेंस खाता प्रदान करती है। इस योजना को 28 अगस्त, 2014 को शुरू किया गया था। अगस्त 2024 तक PMJDY के तहत 53.14 करोड़ बैंक खाते हैं।
दक्षता से लिए गए निर्णयों से ही अधिकारी इतिहास बनाते हैं
सीएम यादव ने पौराणिक संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा कि ईश्वर प्रदत्त यश का सदुपयोग जनहित में करना ही श्रेष्ठतम है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और व्यवस्थाओं को सुव्यवस्था में बदलने में सक्षम हैं। व्यक्तिगत स्तर पर की गई ऐसी पहल, सुख और संतोष प्रदान करती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार बेहतर अवसरों के साथ अपनी दक्षता और सूझ-बूझ से लिए गए निर्णय और उनके बेहतर क्रियान्वयन से ही अधिकारी इतिहास बनाते हैं।
निर्णयों के क्रियान्वयन में आईएएस अधिकारियों की दक्षता प्रशंसनीय
यादव ने कहा कि व्यवस्था को चलाने में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं और इन सभी संस्थाओं ने लोकतंत्र को बनाए रखने में अपनी-अपनी विशेषज्ञता से अपने-अपने स्तर पर योगदान दिया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि, ‘निर्णय लेना या कोई विचार देना सरल है, लेकिन बड़े पैमाने पर उसका क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण है। निर्णयों को लागू करने में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की दक्षता बहुत सराहनीय है।’
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