नई दिल्ली। 13 से 18 साल, वो उम्र जब बच्चे वयस्कता(adulthood) की ओर बढ़ रहे होते हैं. यही वो उम्र होती है जब बच्चे अपनी फूड हैबिट बनाते हैं. वो अपने आहार का चयन खुद करने लगते हैं. उनके लिए क्या अच्छा है, से उन्हें क्या अच्छा लगता है? पर ज्यादा जोर रहता है. बच्चों को इसी उम्र में अगर फूड इनटेक को लेकर जागरूक किया जाए तो वो भविष्य (Future) में भी खाने को लेकर हमेशा सजग रहते हैं.
हाल ही में छह राज्यों में हुई एक स्टडी (Study) में सामने आया है कि इस उम्र के बच्चों में फैट वसा और सोडियम इनटेक हाई है. एम्स की चीफ डाइटिशियन डॉ परमीत कौर से बातचीत की. डॉ परमीत ने विस्तार से बताया कि आखिर क्यों इस उम्र में आहार का बहुत बड़ा रोल होता है.
डॉ परमीत कहती हैं कि यही वो उम्र है जब बॉडी की डेवलेपमेंट होता है. इस उम्र में प्रोटीन आयरन और कैल्शियम (Protein Iron and Calcium) का इनटेक सबसे अच्छा होना चाहिए. इसी दौर में बच्चों को फूड अट्रैक्शन बढ़ता है, जिस कारण उनमें डेविएशन हो रहा है. उनको आसानी से बाजार में ऐसा खाना उपलब्ध है जिसे वो आदत में शुमार कर लेता है.
क्या है स्टडी
भारत के छह राज्यों के 13 से 18 वर्ष की आयु के एक नए अध्ययन से पता चला है कि केवल 1% बच्चे ही रीकॉल कर सकते हैं कि उन्होंने पिछले 24 घंटों में डेयरी उत्पादों का सेवन किया है. जिन छह राज्यों (गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम और तमिलनाडु) का सर्वेक्षण किया गया, उनमें गुजरात में सबसे कम पोषण संबंधी डेविएशन है. यहां उच्च स्तर के सोडियम, वसा और उच्च प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत होती है.
जर्नल ‘करंट डेवलपमेंट इन न्यूट्रिशन’ में प्रकाशित, इस अध्ययन को यूजीसी द्वारा वित्त पोषित किया गया था और 13-18 आयु वर्ग के 937 बच्चों के बीच पोषण संक्रमण की जांच की गई थी. इस आयु वर्ग के बच्चे, जो बचपन से वयस्कता में संक्रमण का प्रतीक हैं, इनमें नई खाने की आदतें बनाने की प्रवृत्ति होती है, जो अक्सर उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. इस उम्र में ही वो पारंपरिक खाद्य पदार्थ आमतौर पर प्रसंस्कृत उच्च-चीनी, उच्च-सोडियम और उच्च वसा वाले भोजन से अलग हो जाते हैं. अधिक वजन और मोटे होने की समस्याएं आहार परिवर्तन से प्रेरित होती हैं जो पोषण संक्रमण का कारण बनती हैं. इन छह राज्यों में 24 घंटे के दो डाइट रिकॉल से निष्कर्ष प्राप्त किए गए थे.
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