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क्या है नेशनल हेराल्ड केस ? आखिर क्‍यों बढ़ी गांधी परिवार की मुश्किलें, जानिए पूरा मामला

June 13, 2022

नई दिल्‍ली । नेशनल हेराल्ड केस (National Herald case) में आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने दिल्ली में पेशी है. इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी को ED ने समन किया है, लेकिन सोनिया गांधी इस समय कोविड पॉजिटिव (covid positive) हैं और अस्पताल में भर्ती हैं.

ED के सामने राहुल गांधी की पेशी को कांग्रेस ने शक्ति प्रदर्शन से जोड़ दिया है. कांग्रेस का आरोप है कि इस मामले में पार्टी के सीनियर नेताओं को बेवजह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है. कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि राहुल गांधी किसी भी हालत में झुकेंगे नहीं.

कांग्रेस की योजना है कि राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी नेता पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड से प्रदर्शन करते हुए ED ऑफिस तक जाएंगे और केंद्र सरकरार के खिलाफ प्रचंड विरोध जताएंगे.


नेशनल हेराल्ड मामले के इर्द-गिर्द चल रही राजनीति को जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि नेशनल हेराल्ड केस आखिर है क्या?

क्या है नेशनल हेराल्ड केस
नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र आजादी के पहले का अखबार है. इस अखबार की शुरुआत इंदिरा गांधी के पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी.

नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( Associated Journals Limited नाम की कंपनी करती थी. इस कंपनी की स्थापाना 1937 में की गई थी और नेहरू के अलावा 5000 स्वतंत्रता सेनानी इसके शेयरहोल्डर्स थे. ये कंपनी दो और दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन करती थी. उर्दू में कौमी आवाज और हिन्दी में नवजीवन. यह कंपनी किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं थी

अंग्रेजों को चुभने लगा अखबार का तेवर
आजादी की लड़ाई के दौरान नेशनल हेराल्ड स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज का प्रमुख मुखपत्र बन गया. इस पत्र का उद्देश्य कांग्रेस में उदारवादी धड़े के विचारों और चिंताओं और संघर्ष को मंच प्रदान करना था. नेहरू इस अखबार में संपादकीय लिखते थे और ब्रिटिश सरकार की नीतियों की कड़ी समीक्षा, आलोचना करते. अंग्रेजी सत्ता को अखबार का ये तेवर चुभने लगा. आखिरकार 1942 में अंग्रेजों ने इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया.

1945 में इस अखबार को फिर से शुरू किया गया. 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने अखबार के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया. लेकिन अखबार का प्रकाशन जारी रहा और कई नामी पत्रकार इसके संपादक बने. ये अखबार कांग्रेस की नीतियों के प्रचार-प्रसार का मुखर जरिया बना रहा.

इस बीच 1962-63 में 0.3365 एकड़ जमीन दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-A बहादुर शाह जफर मार्ग पर AJL को आवंटित की गई.

10 जनवरी 1967 को प्रेस चलाने के लिए भवन निर्माण के लिए भूमि और विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) द्वारा AJL के पक्ष में स्थायी लीज डीड बनाई गई. इसमें कहा गया कि बिल्डिंग का और कोई इस्तेमाल नहीं होगा.

2008 में अखबार का प्रकाशन एक बार फिर बंद कर दिया गया. वजह बताया गया कि कंपनी वित्तीय घाटे में है और अखबार संचालन के खर्चे नहीं उठा पा रही है. 2010 में इस कंपनी के 1057 शेयर होल्डर्स थे. 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी के होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिए गए.

यंग इंडिया लिमिटेड की एंट्री
यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) एक कंपनी है. इसकी शुरुआत साल 2010 में हुई. राहुल गांधी तब समय कांग्रेस महासचिव थे और वही इस कंपनी के डायरेक्टर भी बने थे. इस कंपनी की स्थापना 5 लाख रुपये से की गई थी. इस कंपनी का 38 फीसदी शेयर राहुल गांधी के पास, उनकी मां सोनिया गांधी के पास 38 फीसदी शेयर थे. बाकी के 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के पास था. कांग्रेस का कहना है कि ये अलाभकारी कंपनी है और इसके शेयर धारकों और डायरेक्टर्स को कोई लाभांश नहीं दिया गया है.

सुब्रह्मण्यम स्वामी का आरोप
साल 2012 में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई. उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी विश्वासघात किया गया. इसमें कांग्रेस के कुछ नेता शामिल थे. स्वामी का आरोप था कि YIL ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति पर गलत तरीके से कब्जा किया था.

दरअसल हुआ क्या था
स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के फंड का इस्तेमाल कर AJL का अधिग्रहण कर लिया. स्वामी के आरोपों की मानें तो इसका उद्देश्य एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2000 करोड़ रुपये की सपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश थी.

बता दें कि जब 2008 में नेशनल हेराल्ड बंद हो रहा था तब तक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर कांग्रेस का 90 करोड़ रुपये का कर्ज था. ये लोन अखबार का संचालन फिर से करने के लिए दिया गया था. लेकिन अखबार का संचालन संभव नहीं हो पाया. और AJL इस कर्ज को वापस कांग्रेस को नहीं चुका पाया.

इसके बाद कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था. इसका अर्थ ये हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया था.

स्वामी का आरोप है कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिए मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था. 2010 में यंग इंडिया ने इस 50 लाख के बदले कर्ज को माफ कर दिया और AJL पर यंग इंडिया का नियंत्रण हो गया.

स्वामी ने आरोप लगाया कि इसके साथ ही यंग इंडिया ने AJL की दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, मुंबई और दूसरे शहरों में मौजूद संपत्तियों पर कब्जा कर लिया.

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज कराया. स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने छल-कपट का इस्तेमाल करके लाखों की संपत्ति को “दुर्भावनापूर्ण” तरीके से “अधिग्रहण” किया. स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि AJL को अवैध ऋण दिया गया, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था.

कांग्रेस का पक्ष
स्वामी के आरोपों पर कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में स्वामी को सुने जाने का कोई अधिकार (Locus standi) नहीं है और ये केस सिर्फ राजनीतिक दुर्भावना से फाइल किया गया है.

कांग्रेस का कहना है कि जब हेराल्ड का प्रकाशन करने वाले एजेएल को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा, तो कांग्रेस ने उसे बचा लिया क्योंकि वह अपनी ऐतिहासिक विरासत में विश्वास करती थी.

इसके अलावा कांग्रेस का यह भी कहना है कि AJL के पास अभी भी नेशनल हेराल्ड का मालिक, प्रिंटर और प्रकाशक बना रहेगा और संपत्ति का कोई परिवर्तन या हस्तांतरण नहीं हुआ है. बता दें कि इस बीच 2016 में नेशनल हेराल्ड का डिजिटल वर्जन फिर से लॉन्च किया गया है.

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड को निशाना बनाकर बीजेपी भारत के स्वतंत्रता सेनानियों, और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का अनादर और अपमान कर रही है.

ED की जांच
2014 में ED ने इस केस की जांच शुरू की. ED यह पता लगाना चाहती थी कि क्या इस केस में किसी तरह की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. ED की जांच चलती रही. 26 जून 2014 को अदालत ने सोनिया और राहुल को आरोपी के रूप में अदालत में समन किया.

सितंबर 2015 में ED ने फिर से इस केस की जांच शुरू की.

19 दिसंबर 2015 को सोनिया और राहुल इस मामले में पटियाला कोर्ट में पेश हुए और अदालत द्वारा उन्हें जमानत मिल गई.

2016 में भी इस केस में सुनवाई चलती रही. सुप्रीम कोर्ट ने सोनिया-राहुल के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन सोनिया-राहुल समेत अन्य नेताओं को इस मामले में निजी रूप से अदालत में हाजिर होने से छूट दे दी.

अक्टूबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया. इस आदेश में कहा गया था कि इस बिल्डिंग का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है और इसमें न तो कोई प्रिटिंग की जा रही है और न ही पब्लिशिंग जबकि इसी उद्देश्य के लिए 1962 में ये जमीन आवंटित की गई थी.

फरवरी 2019 में गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा. 5 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दिया.

1 जून 2022 को ED ने इस मामले में सोनिया और राहुल को हाजिर होने का नोटिस भेजा. कांग्रेस ने कहा कि ये राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई है और वे झुकेंगे नहीं.

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