आर.के. सिन्हा
कोरोना वायरस की मौजूदा नवीनतम लहर से देश हिल गया है। चारों तरफ हाहाकार की स्थिति पैदा हो गई है। कोरोना कहर बरपा रहा है। देश में लाखों लोग कोविड से पीड़ित होकर अपना और सम्बन्धियों का जैसे-तैसे इलाज करवा रहे हैं। इन सबके बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश में लॉकडाउन लगाने की बार-बार मांग कर रहे है। वे कह रहे हैं कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने का लॉकडाउन ही सिर्फ एक तरीका है। लेकिन उन्हें समझना होगा कि देश में लॉकडाउन के हालात तो बने ही हुए हैं।
बाजार बंद हैं, दफ्तर बंद हैं, सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। आप देश के किसी भी राजमार्ग से चले जाइये। आपको दूर-दूर तक खड़ी फसलों के आसपास एक भी इंसान तक दिखाई नहीं देता है। मतलब सारा देश घरों के भीतर दुबक-सा गया है। अब सिर्फ घरों से निकल रहे हैं मेडिकल पेशे से जुड़े पेशेवर, बिजली, पानी, बैंकों के कर्मी। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के जवान भी सड़कों पर हैं। वे रोज 15-15 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। उनका साथ दे रहे हैं सुरक्षा एजेसियों के उत्साही जवान। सार्वजनिक परिवहन के मुलाजिम भी दिन-रात काम कर रहे हैं। मतलब बसों, रेलों और एयरलाइनों के पेशेवर। अब जरा राहुल गांधी बता दें कि क्या वे इन आपातकालीन सेवाओं को भी लॉकडाउन में बंद करवाना चाहते हैं? क्या रोज सड़कों और घरों की सफाई करने वाले सफार्ई योद्दा भी घरों में बैठ जाएं? क्या सब्जी बेचने वाले सब्जी बेचना भी बंद कर दें? क्या बाजारों में कैमिस्ट दवाइयां देना भी बंद कर दें?
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “सरकार समझ नहीं रही है। कोरोना के प्रसार को रोकने का एकमात्र उपाय अब संपूर्ण लॉकडाउन ही है। इस दौरान, समाज के कमजोर तबके के लिए न्याय की सुरक्षा दी जाए। भारत सरकार की निष्क्रियता कई निर्दोष लोगों की जान ले रही है।”
राहुल गांधी की भावनाओं पर कोई सवाल नहीं खड़े कर रहा है। वे विपक्ष के शिखर नेता तो बने ही हुये हैं। जब वे किसी विषय पर बोलते हैं तो देशभर में सुना जाता है। पर उनसे इतनी तो उम्मीद देश करता ही है कि वे जब कोई बात कहें तो उसे विस्तार से स्पष्ट भी करें। वे बताएं कि वे कौन से लॉकडाउन की बात कर रहे हैं? उनके दिमाग में लॉकडाउन को लेकर किस तरह की तस्वीर है? वे किस तरह का लॉकडाउन चाह रहे हैं? उसे वे पहले अपने कांग्रेस शासित प्रदेशों जैसे पंजाब, महाराष्ट्र या छतीसगढ़ में क्यों लागू नहीं करते? महाराष्ट्र में भी सरकार कांग्रेस की है। वे वहां अपने मन का लॉकडाउन लगवा लें। वहीं कोरोना का प्रकोप भी सबसे ज्यादा है I जाहिर है कि यदि उनके हिसाब से लॉकडाउन करने से कोरोना की चेन को तोड़ा जा सकता है तो उनकी राय पर केन्द्र तथा सब सरकारें अमल करेंगी। क्यों नहीं करेंगी। स्वास्थ्य तो वैसे भी राज्य का विषय ही है I राज्य सरकारें पहल करेंI
कांग्रेस शासित पंजाब में भी लॉकडाउन तो लगा ही दिया गया है। राज्य में अब 15 मई तक मिनी लॉकडाउन रहेगा। इस दौरान राज्य में सिर्फ जरूरी दुकानें ही खुली रहेंगी। गैरजरूरी दुकानें राज्य में पूर्णरूप से बंद रहेंगी। यह फैसला कोविड के बढ़ते मामलों के कारण ही तो लिया गया है। मिनी लॉकडाउन में राज्य में कई नई पाबंदियां भी लगा दी गई हैं। बैंक व सरकारी दफ्तर भी 50 फीसद क्षमता के साथ ही खुल सकेंगे।
अब छत्तीसगढ़ का हाल भी सुन लें। वहां कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने कलेक्टरों को कुछ छूट के साथ लॉकडाउन की अवधि इस महीने की 15 तारीख तक बढ़ाने की अनुमति दे दी है। राज्य के सभी 28 जिलों में इस महीने की 15 तारीख तक लॉकडाउन जारी रखने की अनुमति दी गई है। लॉकडाउन के दौरान सभी जिलों में कृषि क्षेत्र, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि यंत्रों की दुकानों और उनकी मरम्मत के लिए दुकानें खुलेंगी और उर्वरक ट्रकों को भी इससे छूट दी गई है। मोहल्लों में किराना दुकानों को खुलने की अनुमति है। लेकिन मॉल और सुपर मार्केट बंद रहेंगे। बैंक और डाकघर 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ खुलेंगे। एसी, पंखे, कूलर की होम डिलीवरी की अनुमति रहेगी। पोल्ट्री, मांस, अंडा, दूध, डेयरी और डेयरी उत्पादों की दुकानें, फल, सब्जी और आटा चक्की को खुलने की अनुमति है।
राहुल गांधी की पार्टी की जहां सरकारें हैं वहां इस तरह से लॉकडाउन लगा है, पर वे पूरे देश में लॉकडाउन की मांग कर रहे हैं। साफ है कि वे खुद ही इस बिन्दु पर अपनी कोई साफ राय नहीं रखते। पर राहुल गांधी यह मत भूलें कि पिछले साल लॉकडाउन लगाने के कितने भयानक परिणाम सामने आए थे। तब सैकड़ों प्रवासी मजदूरों के हादसों में शिकार होने की खबरें मिली थीं। अपने ही देश में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा से हरेक संवेदनशील भारतीय दुखी था। जैसा कि राहुल गांधी चाहते हैं, महामारी के इस समय में गरीबों को भोजन की समस्या से दो-चार न होना पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाया है। मोदी सरकार ने गरीबों को मुफ्त में राशन मुहैया करवाने का ऐलान किया है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत केंद्र सरकार गरीबों के मई और जून 2021 के महीने में मुफ्त में राशन मुहैया करवाएगी। इस योजना के तहत दो महीनों में प्रति व्यक्ति पांच किलो राशन दिया जाएगा। मुफ्त में राशन मिलने से तकरीबन 80 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। सरकार ने पिछले साल भी कोरोना की लड़ाई से निपटने के दौरान गरीबों को मुफ्त में राशन मुहैया करवाया था। गरीबों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कमिटमेंट को देखते हुए भारत सरकार ने 80 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त में राशन सामग्री मुहैया कराने का फैसला लिया है। पिछले साल भी गरीब कल्याण योजना के तहत राशन मुहैया करवाया गया था।
राहुल गांधी से देश इस भीषण काल में थोड़ी गंभीरता और समझदारी की उम्मीद करता है। सरकार को कोसने के लिए वैसे तो वे स्वतंत्र हैं। उन्हें सरकार को सलाह देने का भी अधिकार है। पर वे यह सब थोड़ा सोच-समझकर करें तो देश भी उनका एहसान मानेगा और गंभीरता से लेगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)