नई दिल्ली। हाल ही में मुंबई पुलिस ने देश में चल रहे टीआरपी घोटाले का भांडा फोड़ किया है और जांच शुरू कर दी है। कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। लेकिन यह टीआरपी होती क्या है, इसे मानते कैसे है और उसके साथ छेड़छाड़ संभव है, यहीं जानने का हमने प्रयास किया है।
बताया जाता है कि टीआरपी मापने के लिए सरकार द्वारा अधिकृत निजी संस्था बीएआरसी जिन उपकरणों का इस्तेमाल करती है उनके साथ कुछ टीवी चैनलों ने छेड़छाड़ की है ताकि नकली रूप से उन्हीं चैनलों की रेटिंग ऊपर रहे।
क्या होती है टीआरपी
किस टीवी चैनल को कितना देखा जा रहा है टीआरपी यह मापने का एक पैमाना है। इसके दायरे में मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और न्यूज सभी तरह के कार्यक्रम दिखाने वाले चैनल आते हैं। टीआरपी को मापने के लिए बीएआरसी नामक संस्था अधिकृत है। यह संस्था पूरे देश में कुछ घरों को चुनकर उनके टीवी सेट में व्यूअरशिप मापने के उपकरण लगाती है, जिन्हें बैरोमीटर कहते हैं। ताजा जानकारी के अनुसार बीएआरसी ने पूरे देश में लगभग 45,000 घरों में ये बैरोमीटर लगाए हुए हैं। कौन सा चैनल कितना लोकप्रिय है टीआरपी ही इसका फैसला करती है। लोकप्रियता के आधार पर चैनलों को विज्ञापन मिलते हैं और उन्हीं से चैनलों की कमाई होती है।
किस तरह चुने जाते हैं घर
बीएआरसी ने 2015 में उपभोक्ताओं को अलग अलग श्रेणी में बांटने की एक नई प्रणाली 2015 में लागू की थी। इसके तहत सभी घरों को उनके शैक्षिक-आर्थिक स्तर के हिसाब से 12 अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है। इसके लिए परिवार में कमाई करने वाले मुख्य व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता और 11 चीजों में से कौन-कौन सी उस घर में हैं, यह देखा जाता है। इन 11 चीजों में बिजली के कनेक्शन से लेकर गाड़ी तक शामिल हैं।
किस तरह नापी जाती है टीआरपी
चुने हुए परिवार के हर सदस्य को एक आईडी दिया जाता है और हर व्यक्ति जब भी टीवी देखना शुरू करता है तो उस से पहले वो अपने आईडी वाला बटन दबा देता है। इससे यह दर्ज हो जाता है कि किस उम्र, लिंग और प्रोफाइल वाले व्यक्ति ने कब कौन सा चैनल कितनी देर देखा। यह आंकड़े बीएआरसी इकठ्ठा करती है और अमूमन हर हफ्ते जारी करती है।
इस तरह की जा सकती है छेड़छाड़
बैरोमीटर गुप्त रूप से लगाए जाते हैं, यानी उन्हें लगाने के लिए किन घरों को चुना गया है यह जानकारी गुप्त रखी जाती है। अगर किसी चैनल को किसी तरह यह पता चल गया कि किन घरों में उपकरण लगे हैं वो वो उसके घर के सदस्यों को अलग-अलग तरह के प्रलोभन दे कर उन्हें हमेशा वही चैनल लगाए रखने का लालच दे सकते हैं। चैनल केबल ऑपरेटरों को भी रिश्वत दे कर यह सुनिश्चित करा सकते हैं कि जहां जहां उनके कनेक्शन हैं वहां जब भी टीवी ऑन हो तो सबसे पहले उन्हीं का चैनल दिखे। फिर जब तक दर्शक चैनल बदलेगा तब तक उनके चैनल की व्यूअरशिप अपने आप दर्ज हो जाएगी।
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