हाथरस: हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ Bhole Baba’s satsang in Hathras() और इसमें 121 लोगों की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) बिल्कुल ढिलाई के मूड में नहीं है. इस मामले में सरकार ने एसडीएम, सीओ और एसएचओ समेत छह अफसरों की जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. इन अफसरों पर आरोप है कि इन्होंने मामले की पूरी जानकारी होने के बावजूद न तो खुद कोई फैसला लिया और ना ही अपने उच्चाधिकारियों को ही सूचित किया.सरकार ने यह फैसला एडीसी और मंडलायुक्त के संयुक्त नेतृत्व में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट देखने के बाद की है.
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में इस घटना के लिए मुख्य जिम्मेदार बताया है. वहीं इन छह अधिकारियों के ऊपर भी लापरवाही का ठप्पा लगाया है. एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी जांच रिपोर्ट में सत्संग के आयोजकों को मुख्य जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि उन लोगों ने पुलिस और प्रशासन से अनुमति लेते समय तथ्यों को छिपाया था. उन लोगों ने अनुमति कुछ हजार लोगों की भीड़ जुटाने के लिए ली थी, लेकिन जुटा लिए 7 लाख लोग. इसी प्रकार इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी आयोजन स्थल पर समुचित इंतजाम नहीं किए गए थे.
अपनी जांच रिपोर्ट में एसआईटी ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को दोषी माना है. एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने इस सत्संग में संभावित भीड़ को गंभीरता से नहीं लिया. यहां तक कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को भी समुचित जानकारी नहीं दी. इसके लिए एसआईटी ने सीधे तौर पर प्रशासन के अधिकारी एसडीएम सिकंदराराऊ, और तहसीलदार सिकंदराराऊ को दोषी माना है. वहीं पुलिस में सीओ सिकंदराराऊ और एसएचओ के साथ संबंधित चौकी इंचार्ज को भी जिम्मेदार मानते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.
एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आयोजकों ने जिन लोगों को व्यवस्था में लगाया था, उनका पुलिस वैरिफिकेशन नहीं कराया. यही नहीं, जब भगदड़ मची तो सभी आयोजक मौके से भाग गए. इस सत्संग में आए लोगों से बातचीत के साथ मौके की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के आधार पर एसआईटी ने माना कि आयोजन स्थल पर इतनी भीड़ को ना तो बैठने की व्यवस्था थी और ना ही पंडाल में आने जाने के लिए समुचित एक्जिट ही बनाए गए थे. एसआईटी ने इस घटना की रिपोर्ट बनाते हुए प्रकरण के पीछे किसी बड़ी साजिश की भी आशंका जताई है. इसके लिए एसआईटी ने अलग से कमेटी बनाकर जांच करने की सिफारिश की है.
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