नई दिल्ली: महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. एक दिन पहले शुक्रवार (29 सितंबर) को कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में बता दिया गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (28 सितंबर) को विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिया है. इसके बाद अब यह कानून बन गया है. इस पर एक बार फिर कांग्रेस हमलावर है. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता पीछे पी चिदंबरम ने इसे एक “इलुजन (भ्रम)” करार दिया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे कानून का क्या फायदा जो वर्षों तक लागू नहीं किया जाएगा?
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर एक पोस्ट कर चिदंबरम ने लिखा है, “विधेयक भले ही कानून बन गया है, लेकिन यह कई वर्षों तक असल में लागू नहीं हो पाएगा. यह सिर्फ सरकार द्वारा लाया गया, एक भ्रम है. उन्होंने कहा, “सरकार ने दावा किया है कि महिला आरक्षण विधेयक कानून बन गया है. ऐसे कानून का क्या फायदा, जो वर्षों तक लागू ही नहीं किया जाएगा. निश्चित रूप से यह कानून 2029 लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं हो पाएगा. यह चिढ़ाने जैसा है. जैसे पानी से भरे कटोरे में चांद की परछाई दिखाई जाती है. केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया यह कानून सिर्फ एक चुनावी जुमला है.”
27 सालों की लंबाई इंतजार के बाद दोनों सदनों में पास हुआ था बिल
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक 27 सालों के लंबे प्रयास के बाद 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित किया गया था. राज्यसभा में बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला था. लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था. पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे.
अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिल पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद से विधेयक कानून बन गया है. इसको अमल में लाने से पहले दो जनगणना और परिसीमन की दो शर्तों को पूरा करना होगा. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था कि परिसीमन पर 2026 तक रोक है. उसके बाद जनगणना और परिसीमन पूरा कर महिला आरक्षण लागू किया जाएगा.
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