नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू की है। उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने में जुटे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं।
पांच पॉइंट्स में जानिए भाजपा का प्लान
विपक्ष की लामबंदी से निपटने के लिए भाजपा क्या तैयारी कर रही है? उसकी क्या रणनीति है? यह समझने के लिए हमने भारतीय जनता पार्टी के एक राष्ट्रीय नेता से बात की। उन्होंने कहा, ‘विपक्ष के पास भाजपा के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं बचा है। ये पहले भी एकजुट हो चुके हैं, लेकिन इसका कोई फायदा उन्हें नहीं मिला है। इस बार भी इनकी कोशिशें पूरी तरह से असफल होंगी।’ उन्होंने 2024 के लिए भाजपा की तैयारियों और प्लान को पांच बिंदुओं में समझाया…
1. हारी हुई सीटों पर नजर: 543 सदस्यों वाली लोकसभा में भाजपा के अभी 303 सदस्य हैं। इनमें करीब 150 सीटें ऐसी हैं, जिनपर 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा दूसरे नंबर थी। अब पार्टी इन्हीं 150 सीटों पर फोकस किए हुए है। जिन कारणों से पिछली बार हार मिली थी, उसे समय रहते दूर करने की कोशिश हो रही है। कार्यकर्ता से लेकर नेता तक जमीन पर काम कर रहे हैं। क्षेत्र की जनता से जुड़ने की कोशिश हो रही है।
2. सरकार में संगठन और कार्यकर्ता का सम्मान: गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ दिन पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन मंत्री बीएल संतोष के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने साफ कहा है कि जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहां संगठन और पार्टी के कार्यकर्ताओं का पूरा सम्मान होना चाहिए। कार्यकर्ता और संगठन से बढ़कर सरकार नहीं है। कार्यकर्ता और संगठन की बदौलत ही सरकार बनती है। इसे सभी भाजपा शासित राज्यों की सरकारों और मंत्रियों को मालूम रहना चाहिए। उन्हें ये याद रहना चाहिए कि वह कार्यकर्ता से बड़े नहीं हैं। इसलिए कार्यकर्ताओं के हर मुद्दे को सुनें और उसे निस्तारित करें।
3. केंद्र और राज्य के मंत्रियों को दी गई जिम्मेदारी: भाजपा ने हारी हुई सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी ज्यादा फोकस करने का फैसला लिया है, जहां की स्थिति खराब होती नजर आ रही है। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। ऐसी सीटों पर भाजपा को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों पर होगी। इन सीटों पर भाजपा नेताओं और मंत्रियों के लगातार कार्यक्रम होंगे। किसी न किसी तरह से इन क्षेत्रों में कार्यक्रम कराए जाएंगे, जिससे भाजपा सीधे यहां की जनता से कनेक्ट हो सके। इसके अलावा अन्य सीटों पर भी मंत्रियों का कार्यक्रम कराने को कहा गया है। मंत्रियों को गांव में रुककर वहां के लोगों से मिलने के लिए कहा गया है।
4. सरकारी योजनाओं का प्रचार: केंद्र और भाजपा शासित राज्यों में सरकारी योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा प्रचार किया जाए। हर मतादाता तक योजनाओं की जानकारी पहुंचे इसके लिए संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। संगठन के कार्यकर्ताओं को ही जिम्मेदारी दी गई है कि वह पात्र लोगों को इन योजनाओं का फायदा भी दिलाएं। इसके लिए जो भी जरूरी कदम हों, वो उठाए जाएं।
5. दलित-ओबीसी वर्ग पर फोकस: भाजपा ने दलित-ओबीसी वर्ग पर भी विशेष फोकस करने का प्लान बनाया है। दलित और ओबीसी वर्ग को यह बताने को कहा गया है कि भाजपा ने ही पहली बार देश को द्रौपदी मुर्मू के तौर पर आदिवासी राष्ट्रपति दिया है। इसके अलावा पार्टी के दलित और ओबीसी सांसदों, नेताओं का जिक्र करके यह बताने को कहा है कि भाजपा में ही गरीब, पिछ़डे और वंचित वर्ग का ख्याल रखा जाता है। जल्द ही भाजपा एक ऐसी सूची भी जारी कर सकती है, जिससे ये बताया जा सके कि सबसे ज्यादा दलित, पिछड़े वर्ग के सांसद, मंत्री और विधायक भाजपा ने ही बनाए हैं।
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