वाशिंगटन (Washington)। भारत के साथ चीन का सीमा विवाद (India-China border dispute) लगभग 64 साल पुराना है, लेकिन इसे सुलझाने के लिए चीन (China) ने अब तक कोई गंभीर पहल नहीं की है। यही कारण है कि चीन सीमा विवाद (India-China border dispute) को कूटनीतिक तरीके से हल करने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहा है। बार-बार घुसपैठ करने की अपनी हठधर्मिता से वह बाज नहीं आ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि घुसपैठ की कार्रवाई उसकी किसी बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसे वह बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दे रहा है। इसे हमारे नीति निर्धारकों को समझना होगा। हमें हर बात के लिए तैयार रहना होगा।
अमेरिका ने हाल ही में एक द्विदलीय प्रस्ताव पारित किया। इसके तहत मैकमोहन रेखा को अरुणाचल प्रदेश और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता दी गई है और पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग’ बताया गया है।
अमेरिकी सीनेट में प्रस्ताव पेश करने वाले सांसदों में से एक सीनेटर बिल हैगर्टी ने कहा कि, चीन मौजूदा वक्त में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है, ऐसे में अमेरिका के लिए ये जरूरी हो जाता है कि वो अपने रणनीतिक साझेदारों, खासकर भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे।
2. अक्साई चिन रोड
लद्दाख इलाके में यह सड़क बना कर चीन ने विवाद का एक और मसला खड़ा किया है। चीन जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग मानने में आनाकानी करता है, लेकिन पाक के कब्जे वाले कश्मीर को पाकिस्तान का भाग मानने में उसे कोई आपत्ति नहीं है।
3. विवादित सीमा
दोनों देशों के बीच करीब 3000 किमी की सीमा पर कोई स्पष्टता नहीं है। चीन जान-बूझ कर सीमा विवाद हल नहीं करना चाहता। वह सीमा विवाद को समय-समय पर भारत पर दबाव बनाने के लिए उपयोग करता है।
4. अरुणाचल
चीन पूरे अरुणाचल पर अपना दावा जताता रहा है। अरुणाचल में एक जल विद्युत परियोजना के लिए एशिया डेवलपमेंट बैंक से लोन लेने का चीन ने जम कर विरोध किया। अरुणाचल को विवादित बताने के लिए चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है।
5. ब्रह्मपुत्र
चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर कई बांध बना रहा है और उसका पानी वह नहरों के जरिये उत्तरी चीन के इलाकों में ले जाना चाहता है। भविष्य में इस मसले के बड़ा विवाद बनने की आशंकाओं को ध्यान में रख भारत इस मसले को द्विपक्षीय बातचीत में उठाता रहा है।
6. हिंद महासागर
चीन ने पिछले कुछ वर्षों में हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां काफी बढ़ा दी हैं। पाकिस्तान, म्यांमार व श्रीलंका के साथ साझेदारी में परियोजनाएं शुरू कर वह भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।
7. पीओके
पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बालटिस्तान में चीनी गतिविधियां तेज हुई हैं। पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने खुद कहा कि इन इलाकों में तीन से चार हजार चीनी कार्यरत हैं, जिनमें पीएलए के लोग भी हैं।
8. साउथ चाइना सी
अपनी ऊर्जा की जरूरतों को ध्यान में रख चीन साउथ चाइना सी इलाके में अपना प्रभुत्व कायम करने की कोशिशें कर रहा है। यहां उसे वियतनाम, जापान और फिलीपींस से चुनौती मिल रही है। हाल में उसने वियतनाम की दो तेल ब्लॉक परियोजनाओं में शामिल भारतीय कंपनियों को चेतावनी दी की वह साउथ चाइना सी से दूर रहें।
पुरानी है चीन और भारत की लड़ाई
1962 के बाद से अब तक भारत और चीन सिक्किम-भूटान-तिब्बत सीमा को लेकर आमने सामने खड़े होते रहे हैं। ताजा मामला 9 दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के बीच हुई झड़प का है। इस झड़प के बाद भारतीय सेना का कहना था कि झड़प में दोनों देशों के कुछ सैनिक घायल हुए हैं, लेकिन चीनी सैनिकों की संख्या ज्यादा है। इससे पहले साल 2020 में दोनों देशों के बीच हुआ संघर्ष काफी हिंसक था। 1975 के बाद से दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवान में झड़प हुई थी।
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