मॉस्को। यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद अमेरिका (America) समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस (Russia) पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. बताया जा रहा है कि इन प्रतिबंधों के चलते रूस को आर्थिक संकट (Russia’s economic crisis) का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच SWIFT से रूस को प्रतिबंधित किए जाने की चर्चा चल रही है. लेकिन रूस पर ये प्रतिबंध लगाने से पहले कई देशों को अपने हितों की चिंता भी सताने लगी है।
दरअसल SWIFT एक वैश्विक बैंकिंग प्रणाली है. इससे पहले भी रूस को इससे प्रतिबंधित करने की धमकी दी जा रही थी. 2014 में क्रिमिया पर कब्जा करने के बाद अमेरिका ने रूस को स्विफ्ट से अलग करने का आह्वान किया था। आइये जानते हैं SWIFT के बारे में…
क्या है SWIFT ?
स्विफ्ट (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications) ग्लोबल बैंकिंग सर्विसेज के जीमेल के तौर पर कार्य करने वाली एक प्रणाली है। साल 1973 में इसकी स्थापना की गई थी ताकि टेलेक्स प्रणाली पर निर्भरता को समाप्त किया जा सके. जिसका उपयोग टेक्सट मैसेज भेजने के लिए किया जाता था। स्विफ्ट 200 से ज्यादा देशों में 11 हजार से ज्यादा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन और कंपनीज के बीच मैसेज के तौर पर सुरक्षित संचार प्रदान करता है।
स्विफ्ट की विशेषता है कि इसके जरिए एक दिन में औसतन 4 करोड़ मैसेज भेजे जा सकते हैं जिनमें बैंकिंग कार्यप्रणाली से जुड़े विवरण शामिल हैं. स्विफ्ट एक सदस्य-स्वामित्व वाली सहकारी समिति है जिसका ऑफिस बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में स्थित है।
SWIFT की भूमिका अहम क्यों?
चूंकि स्विफ्ट एक वैश्विक बैंकिंग प्रणाली है और इसका महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि साल 2012 में जब कुछ ईरानी बैंकों को स्विफ्ट से बाहर कर दिया गया था तो ईरान का तेल निर्यात एक दिन में 3 मिलियन बैरल से अधिक गिर गया था. वहीं जब 2014 में रूस को स्विफ्ट से बाहर करने की चेतावनी दी गई थी तो उस समय रूस के वित्त मंत्री ने देश की जीडीपी में गिरावट की चेतावनी दी थी. जिसके बाद कोई कदम नहीं उठाया गया।
SWIFT से बाहर हुआ रूस तो क्या होगा असर?
यदि रूस को स्विफ्ट से बाहर कर दिया जाता है तो रूस में घरेलू और विदेशी स्तर पर पैसों को लेनदेन लगभग असंभव हो जाएगा और इससे रूस को फॉरेन करेंसी प्राप्त नहीं होगी. इसके कारण रूस की कंपनीज और उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे नुकसान सिर्फ रूस को ही होगा बल्कि दूसरे देशों को रूस से मिलने वाले संसाधन जैसे- गैसे, तेल और विभिन्न धातु प्राप्त नहीं हो सकेगी।
वहीं अगर रूस को स्विफ्ट से प्रतिबंधित किया गया तो अमेरिका और जर्मनी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा क्यों कि उनके बैंक, रूस के बैंक से संपर्क करने के लिए स्विफ्ट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
उधर यूरोपिय देश भी तेल और गैस के लिए रूस पर सबसे ज्यादा निर्भर है और इसी कारण से वह कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले सोच रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार, यूरोपीय संघ करीब 40 फीसदी गैस जरूरत के लिए रूस पर निर्भर है. रूस के राजनेताओं ने चेतावनी दी है कि पैसों के लेन-देने के बिना गैस और तेल की सप्लाई बंद हो जाएगी।
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