नई दिल्ली: केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार (8 अगस्त) से चर्चा होगी. लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी की संसद में वापसी हो गई है और वह इस पर बहस शुरू कर सकते हैं. तीन दिन में 18 घंटे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चा की जाएगी और प्रधानमंत्री मोदी 10 अगस्त को इस पर जवाब दे सकते हैं.
मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. हालांकि, नंबर गेम के लिहाज से सरकार को इससे कोई खतरा नहीं है. यह दूसरी बार है जब पीएम मोदी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है. पिछले कार्यकाल में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसके खिलाफ 330 वोट पड़े थे. अब जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है, जिसकी इतनी चर्चा हो रही है-
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
किसी मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी होती है तो लोकसभा सांसद नोटिस लेकर आता है. जैसे इस बार मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष नाराज है और वह लगातार सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है. सरकार को घेरने के लिए वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकर भी कर लिया है और आज से बहस शुरू होनी है. अविश्वास पर चर्चा के लिए 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है. गौरव गोगोई के नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. चर्चा के बाद इस पर वोटिंग की जाएगी.
कब लाया जाता है अविश्वास?
संविधान के अनुच्छेद-75 के मुताबिक, सरकार यानी प्रधानमंत्री और उनका मंत्रीपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है. लोकसभा में जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं इसलिए सरकार को इसका विश्वास प्राप्त होना जरूरी है. ऐसे में अगर किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. इसी के आधार पर लोकसभा के रूल 198(1) से 198(5) के तहत कहा गया है कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ अविश्वास का नोटिस लोकसभा स्पीकर को सौंप सकता है.
जब 1979 में गिर गई थी मोरारजी देसाई की सरकार
आजादी के बाद से अब तक 27 बार केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन सिर्फ एक बार ही पास हुआ. जुलाई 1979 में पीएम मोरारजी देसाई ने वोटिंग से पहले इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से उनकी सरकार गिर गई. आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को आया था. 23 बार कांग्रेस पार्टी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया. हालांकि 10 साल पीएम रहे मनमोहन सिंह के खिलाफ एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया. इसके अलावा, 2 बार जनता पार्टी जबकि 2 बार बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास लाया गया.
जानें NDA और INDIA के दांव-पेंच
बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है. कुल 538 सांसदों में से 365 सरकार के साथ हैं और इसके खिलाफ रहने वाले सांसदों की संख्या 156 है. तो नंबर गेम के लिहाज से विपक्ष सरकार को परेशानी में ड़ालने की स्थिति में नहीं है. इस कदम से विपक्ष को चर्चा करने और सरकार को घेरने का मौका मिलेगा. चर्चा के दौरान संभव है कि पीएम मोदी मौजूद रहेंगे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved