चंडीगढ़: हरियाण में अब ‘गोरखधंधा’ शब्द नहीं बोला जाएगा. मनोहर लाल खट्टर सरकार ने ‘गोरखधंधा’ शब्द के प्रयोग किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस फैसले के पीछे के जरूरी कारणों में बताया गया है कि एक सकारात्मक शब्द को बड़े ही नकारात्मक अर्थ में समझ लिया गया है.
इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर अनैतिक प्रथाओं का जिक्र करने के लिए किया जाता है. ‘गोरखधंधा’ नाथ संप्रदाय के संत गुरु गोरखनाथ से जुड़ा हुआ है. आधिकारिक बयान के अनुसार, गोरखनाथ समुदाय के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद सीएम मनोहर लाल खट्टर ने यह फैसला किया है.
संत गोरखनाथ के अनुयायियों को ठेस : जानकारी के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से ‘गोरखधंधा’ शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि इस शब्द के नकारात्मक अर्थ निकालने से संत गोरखनाथ के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है.
जल्द जारी होगी अधिसूचना : मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोरखनाथ एक संत थे और किसी भी राजभाषा, भाषण या किसी भी संदर्भ में इस शब्द का प्रयोग उनके अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है, इसलिए किसी भी संदर्भ में इस शब्द का उपयोग राज्य में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस संबंध में सरकार की ओर से जल्द ही एक अधिसूचना जारी की जाएगी.
कहां से आया ‘गोरखधंधा’ शब्द : विकिपीडिया पर गोरखधंधा शब्द के ऐतिहासिक सफर का जिक्र है. इसके मुताबिक, गोरख धंधा शब्द गुरु गोरखनाथ के कई चमात्कारिक सिद्धियों के कारण प्रयोग में आया था. वह तंत्र के ज्ञाता थे. शुरुआत में बहुत जटिल, बहुत उलझे हुए काम को गोरखधंधा कहा जाता था. एक भजन भी है, ‘माया का गोरखधंधा, कोई समझ न पाए रे’. यहीं से नुसरत फतेह अली खान, जब अपनी कव्वाली गाते हैं तो मुखड़े में कहते हैं, “तुम इक गोरखधंधा हो.” यह कव्वाली कई सालों से काफी मशहूर है.
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