खून के धक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी को हीमोफीलिया कहते हैं। हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। यह बहुत ही दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है। यह एक रक्त विकार बीमारी है, जिसमें ब्लड का ठीक से थक्का नहीं बन पाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर अगर चोट लगता है, तो खून बहना नहीं रुकता है।
शरीर में ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर्स ना होने के कारण ऐसा होता है। ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर्स एक तरह का प्रोटीन होता है। इसके लक्षण ब्लड में क्लॉटिंग फैक्टर्स की मात्रा पर निर्भर करता है। भारत में इस तरह के करीब 2 लाख मामले हैं। भारत में इस बीमारी के रोगी कम हैं। हीमोफीलिया के रोगियों को जरा सी भी चोट लगना खतरनाक साबित हो सकता है। यह बीमारी विरासत में मिलती है। एक आंकड़े के मुताबिक, प्रत्येक 5,000 पुरुष में 1 पुरुष इस समस्या का शिकार होता है।
महिलाओं की तुलना में पुरुष इस बीमारी से काफी ज्यादा ग्रसित होते हैं। महिलाओं को इस बीमारी का खतरा ना के बराबर होता है। यह महिलाओं को जरिए पुरुषों को होने वाली अनुवांशिक समस्या है।
हीमोफीलिया के लक्षण (Symptoms of Hemophilia)
नाक से लगातार खून बहना
मसूड़ों और दांतों से खून निकलना
स्किन आसानी से छिल जाना
शरीर में आंतरिक रूप से रक्तस्त्राव होना।
जोड़ों में दर्द
तेज सिर दर्द
गर्दन में अकड़न
उल्टी की शिकायत
अचानक ब्लीडिंग होने पर होती है निम्न परेशानी
मल में खून आना
गहरे नीले घाव
बिना चोट लगे शरीर नीला पड़ना
चिड़चिड़ाहट महसूस होना।
हीमोफीलिया के कारण
हीमोफीलिया के कारण
जब शरीर से खून बहने लगता है, तब रक्त की कोशिकाएं जमा होकर एक ब्लड क्लॉट बना लेती हैं। ब्लड क्लॉट बनने से शरीर से खून बहना रुक जाता है। ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर की वजह से ब्लड क्लॉटिंग की प्रक्रिया शुरू होती है। शरीर में जब इस फैक्टर की कमी होती है, तो हीमोफीलिया का कारण बन सकती है। हीमोफीलिया कई तरह के होते हैं। अधिकतर हीमोफीलिया माता-पिता से बच्चों को होता है। हालांकि, करीब 30% ऐसे हीमोफीलिया केस देखे गए हैं, जो पीड़ित मरीज के परिवार में किसी को भी हीमोफीलिया नहीं होता है। ऐसे लोगों के जींस (genes) में कुछ ऐसे परिवर्तन हो जाते हैं, जिसके बारे में सोचना नामुकिन होता है।
हीमोफीलिया मरीजों को अपनाने चाहिएं ये टिप्स
हीमोफीलिया रोगियों को हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। पर्याप्त शारीरिक एक्टिविटी से शरीर का वजन, मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत रहती हैं। हालांकि, ऐसे मरीजों को अधिक शारीरिक एक्टिविटी से बचना चाहिए। क्योंकि इससे रक्तस्त्राव का खतरा बढ़ जाता है।
खून को गाढ़ा बनाने वाली दवाइयों को लेने से बचें।
मसूड़ों और दांतों की अच्छे से सफाई करें। साल में दो बार दांतों के डॉक्टर के पास जाएं।
गाड़ी चलाने से पहले सीट बेल्ट जरूर लगाएं।
चोट लगने वाली गतिविधि से बचकर रहें।
हीमोफीलिया का इलाज
हीमोफीलिया के इलाज के लिए वैज्ञानिकों ने एक इंजेक्शन तैयार किय है। इस इंजेक्शन के जरिए शरीर के उन घटकों की कमी को दूर किया जाता है, जिसके कारण हीमोफीलिया होता है। इसलिए वैज्ञानिकों की इस सफलता ने हीमोफीलिया का इलाज आसान कर दिया है। अगर मरीज ज्यादा गंभीर स्थिति में नहीं है, तो उसे दवाई देकर उसका इलाज किया जाता है।
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