फाइब्रोमाइल्जिया हड्डियों से संबंधित बीमारी है। इस विकार में शरीर की हड्डियों और मांशपेशियों में तेज दर्द के साथ सनसनी होती है। ऐसा लगता है मानो कोई सुई चुभा रहा है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। यह विकार किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। खासकर 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह शिकायत अधिक देखी जाती है।
इस बीमारी में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। इसके लिए तत्काल डॉक्टर की मदद लें। अगर आपको फाइब्रोमाइल्जिया के बारे में नहीं पता है, तो आइए सब कुछ जानते हैं-
फाइब्रोमाइल्जिया के लक्षण
सिरदर्द
थकान
हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द
अनिद्रा
डिप्रेशन
फाइब्रोमाइल्जिया के कारण
यह एक आनुवांशिक रोग है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। अगर परिवार में किसी एक सदस्य को फाइब्रोमाइल्जिया है, तो अन्य सदस्यों में इसके लक्षण पाए जा सकते हैं। इसके साथ ही फाइब्रोमाइल्जिया चोट की वजह से भी होती है। जबकि अत्यधिक तनाव लेने से भी इसका खतरा अधिक रहता है। अगर प्राथमिक स्तर पर डॉक्टर की सलाह नहीं लेते हैं, तो यह खतरनाक साबित हो सकता है।
फाइब्रोमाइल्जिया के उपचार
विशेषज्ञ की मानें तो ‘फाइब्रोमायल्जिया के लिए विटामिन डी दवा समान है। इससे यह बीमारी पूरी तरह खत्म नहीं होती, लेकिन शरीर में विटामिन-डी की अधिकता से दर्द में आराम मिलता है। शरीर की हड्डियों और मांशपेशियों में दर्द की एक वजह विटामिन-डी की भी कमी है। इसके लिए ‘फाइब्रोमायल्जिया के मरीजों को धूप का सेवन करना चाहिए, क्योंकि सूर्य विटामिन-सी का मुख्य स्त्रोत है।
नींद पूरी लें
इससे बचने के लिए रोजाना कम से कम आठ घंटे जरूर सोएं। अगर पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो मानसिक और शारीरिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जबकि फाइब्रोमाइल्जिया के लिए तनाव को भी एक प्रमुख कारण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि तनाव से हार्मोन असंतुलित होता है, जिसका असर हड्डियों और मांशपेशियों पर भी पड़ता है। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज जरूर करें और तनाव से दूर रहें।
नोट – उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेंशानी होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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