नई दिल्ली: मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार अगर आप शेयर मार्केट से स्टॉक खरीदना या बेचना हो तो आपके पास डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है. आजकल हम हर समय डीमैट अकाउंट का नाम सुनते रहते हैं पर कई लोगों को ये पता नहीं होता है कि आखिर ये होता क्या है. आज हम यहां डीमैट अकाउंट के बारे में और इसे खोलने के बारे में विस्तार से बात करेंगे.
बता दें कि डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर और अन्य सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटरियलाइजेशन अकाउंट है. इसमें शेयर, बांड, सरकार की शर्ते, म्यूचुअल फंड, बीमा और ईटीएफ जैसे निवेश को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है. इस लेखा-जोखा के माध्यम से स्टॉक और संबंधित दस्तावेजों के रखरखाव का लेखा-जोखा से बचा जाता है.
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए अनिवार्य है डीमैट अकाउंट
आज के डिजिटल युग में हर काम डिजिटल होने लगा है. ऐसे में अब कोई कागजी कार्य नहीं होता है और न ही कोई भौतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. ऐसे में जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है, वह आपके डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में दर्ज हो जाता है. ऐसे में अगर आप शेयर मार्केट में या किसी अन्य जोखिम जगह में निवेश करना चाहते हैं, तो आपका डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है.
कैसे खोलें डीमैट अकाउंट?
भारत में 2 प्रमुख डिपॉजिटरी हैं – नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL). जब आप अपनी ओर से एक डीमैट अकाउंट खोलने के लिए डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) से संपर्क करते हैं, तो वे आमतौर पर CDSL या NSDL के साथ अकाउंट खोलते हैं. आप पसंदीदा डीपी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं.
आपके निवेश को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखता है डीमैट अकाउंट
गौरतलब है कि जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में पैसा होता है, उसी प्रकार से एक डीमैट अकाउंट आपके निवेश को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखता है. यह आपके लैपटॉप या स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट के साथ आसानी से एक्सेस हो सकता है.
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