इंदौर। टैक्स प्रेक्टिसनर्स एसोसिएशन और इंदौर सीए शाखा द्वारा आयकर से लेकर जीएसटी सहित अन्य टैक्सेशन के बारे में कारोबारियों को जानकारी देने हेतु सेमिनार आयोजित किए जाते रहे हैं। कल पार्टनरशिप फर्म लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप यानी एलएलपी औरप्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में क्या अंतर है और इनमें सबसे बेहतर क्या है उसको लेकर तकनीकी जानकारी दी गई और किस तरह से इनका फॉर्मेशन करना चाहिए और उसमें किन बिन्दुओं का ध्यान रखा जाए।
सेमिनार में टीपीए प्रेसिडेंट सीए जे. पी. सराफ ने कहा कि नए बिजनेस का स्वरुप तय करना याने कि व्यापार के लिए पार्टनरशिप फर्म या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) या प्रायवेट लिमिटेड कंपनी इन तीनों में से किसका फॉर्मेशन करना है यह बहुत ही गंभीर विषय होता है तथा इस निर्णय के बड़े दूरगामी प्रभाव होते हैंद्य इस निर्णय प्रक्रिया में किन किन बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है इस हेतु इस इस महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमिनार का सञ्चालन कर रहे टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने बताया कि इस निर्णय प्रक्रिया में व्यापार के प्रकार, साइज, कॉम्पिटिटर्स इत्यादि बिंदुओं के साथ-साथ फ्यूचर विजन भी रखना आवश्यक है कि तय किये जाने वाला स्वरुप व्यापार की भविष्य की ग्रोथ के साथ सामंजस्य बैठाने में सफल होगा या नहीं। मुख्य वक्ता सीए मनोज पी गुप्ता ने फर्म, एलएलपी और कंपनी की तुलनात्मक व्याख्या करते हुए बताया कि किसी भी नया बिजऩेस चालू करने के लिए उसका लीगल स्वरुप तय करना पड़ता है कि इसका स्वरुप पार्टनरशिप फर्म, एलएलपी या प्रायवेट लिमिटेड कंपनी; इनमें से किस रूप में रहेगा।
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