इंदौर, संजीव मालवीय। प्रदेश में अब भाजपा को 84 सीटों पर फैसला करना है। कहा जा रहा है कि एकसाथ भाजपा नवरात्रि में सभी 84 सीटों पर अपने नाम घोषित कर देगी। इस सूची में 67 विधायकों की सीटें भी शामिल हैं। भाजपा ने इन सीटों को क्यों रोका है और भाजपा क्या नया प्रयोग करती है, इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में से कई विधायकों के टिकट कटने के बाद इस सूची में नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
भारतीय जनता पार्टी ने पहली और दूसरी सूची में 39-39 नामों के साथ तीसरी सूची में 1 और फिर चौथी सूची में 57 नाम घोषित करने के बाद बचे हुए नामों पर मंथन शुरू कर दिया है। केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक नवरात्रि के पहले दिन यानि 15 अक्टूबर को होना है और इसमें मध्यप्रदेश के नामों पर चर्चा की जाएगी। संभवत: अब अंतिम सूची में ही बची हुई 84 सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार घोषित कर देगी। जिस तरह से पार्टी ने अपनी हर सूची में अप्रत्याशियत नाम घोषित कर सबको चौंकाया है, उससे अंतिम पांचवी सूची भी चौंकाएगी, इसमें कोई संदेह नहीं है, क्योंकि इस सूची में पार्टी ने वर्ततान 67 विधायकों के नाम रोके हुए हैं।
इनमें से पार्टी किसको टिकट देगी या नहीं, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। कहा तो यह जा रहा है कि इनमें से अधिकांश के नाम कई समीकरणों को लेकर काटे जा सकते हैं। इंदौर में भी भाजपा की तीनों सीटों पर नाम घोषित होना हैं। इनमें इंदौर 3, इंदौर 5 और महू विधानसभा शामिल हैं। 3 नंबर में आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने में संशय है और उनके स्थान पर किसी युवा चेहरे को ही उम्मीदवार बनाया जा सकता है। 10 साल पहले यह सीट कांग्रेस के हाथ में थी और इसे अब भाजपा के खाते में बनाए रखना चुनौती हैं। जो इस सीट को बनाए रखने का दावा करेगा, उसे ही पार्टी टिकट दे सकती है। इसके साथ ही इंदौर 5 को लेकर पार्टी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। पांच नंबर में विधायक महेन्द्र हार्डिया ओबीसी से आते हैं और उनके स्थान पर किसी ओबीसी उम्मीदवार को भी उतारा जा सकता है। ओबीसी से उम्मीदवार लिया जाता है तो इनमें संघ से आए नानूराम कुमावत या फिर सामान्य से टिकट दिया जाता है तो गौरव रणदिवे का नाम प्रमुखता से सामने आया है। वैसे पांच नंबर में और भी नाम हैं। महू विधानसभा में फिलहाल ऐसा कोई नाम नहीं है, लेकिन पार्टी सूत्र कह रहे हैं कि यहां से कविता पाटीदार को टिकट दिया जा सकता है या फिर हार-जीत के समीकरणों को देखते हुए उषा ठाकुर को ही स्थायी रख सकते हैं। हालांकि 15 तारीख को सीईसी की बैठक के बाद पार्टी का स्ट्रेटजी प्लान भी पता चल ही जाएगा।
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