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    मरने से ठीक 15 मिनट पहले आख़िर क्या सोचता है इंसानी दिमाग़, कैमरे में हुआ रिकॉर्ड

  • February 23, 2022

    नई दिल्ली। हर इंसान अपनी मृत्यु के बारे में कभी ना कभी जरूर सोचता है की आखिर मृत्यु (After all, death) से पहले और बाद में क्या होता होगा। यह पहली बार रिकॉर्ड (record) हुआ है कि जब किसी की मौत पास आती है तो उस दौरान आदमी के दिमाग में क्या कुछ चल रहा होता है दरअसल वैज्ञानिकों (scientists) ने दावा किया है कि मरता हुआ दिमाग आखिरी पलों में अपनी जिंदगी की अच्छी यादें याद कर रहा होता है रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने गलती से हमारे सबसे जटिल अंग यानी दिमाग को कैप्चर कर लिया है इस दौरान उन्होंने रिकॉर्ड किया कि दिमाग आखिरी समय में क्या सोचता है।

    जानकारी के मुताबिक एक अस्पताल में 87 वर्ष के मरीज का मिर्गी का इलाज चल रहा था, जिसे इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) से जोड़ा गया। इलाज के दौरान अचानक उसे हार्ट अटैक (heart attack) आ गया और उसकी मौत हो गई। मौत के पहले 15 मिनट इस शख्स के रिकॉर्ड हो गए हैं, जिससे साफ तौर पर बताया गया कि वह शख्स अपनी जिंदगी के आखिरी पलों में अच्छी यादों को याद कर रहा था। ये 15 मिनट इइजी पर रिकॉर्ड किए गए हैं, जिसमें बताया गया कि मरीज के मौत की 30 सैंकेड के दौरान उसकी फाइनल हार्ट बीट (final heart beat) काफी तेज हो गई थी और एक यूनिक वेव (unique wave) वहां पर दर्ज हुई। इस वेव को Gamma Oscillations से जाना जाता है। इसकी मेमोरी याद करना और सपने देखने जैसी होती है।


    रिपोर्ट में कहा गया हा कि इसका मतलब यह हुआ है कि इस पूरे मामले में अभी और शोध की जरूरत है, लेकिन यह जरुर बताया मरने से पहले शक्ख अपनी सबसे अच्छी यादों को याद करता है। इस शोध में बताया गया कि इस दौरान इस शख्स का दिमाग काफी एक्टिव (Active) था। आखिरी वक्त में इंसान का दिमाग ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जैसे की आप कोई सपना देख रहे होते हैं। हैरानी की बात यह है कि उस वक्त हमारा शरीर खत्म हो जाता है, लेकिन फाइनल स्टेज पर पहुंचते-पहुंचते भी हमारा दिमाग काम करता है।

    इस शोध का आयोजन करने वाले ले लुइसविले ज़ेमर विश्वविद्यालय (Le Louisville Zemer University) के एक न्यूरोसर्जन डॉ अजमल ज़ेमर (Louisville Zemmar) ने बताया कि Gamma Oscillations वेव के दौरान हमारा दिमाग पूरानी अच्छी यादों को याद करने में लग जाता है। उन्होंने कहा कि यह हो सकता है कि इस आखिरी वक्त में हमारा दिमाग जिंदगी के आखिरी पलों में कुछ जरूरी पलों को याद करता है। उन्होंने बताया कि दिमाग में इस तरह की चीजों से चुनौती बढ़ जाती है कि आखिर जिंदगी कब खत्म होती है। क्योंकि इस दौरान इंसान के पार्ट डोनेट करने में भी काफी दिक्कत होती है। उन्होंने आगे बताया कि इंसान के अलावा चूहों में इसी तरह के ब्रेनवेव परिवर्तन देखे गए हैं, लेकिन मनुष्यों में पहले कभी नहीं देखा गया है।

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