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नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण पर क्या बोला विदेशी मीडिया, पाकिस्तान का ऐसा रहा रिएक्शन

June 10, 2024


इस्लामाबाद: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने तीसरी बार भारत (India) के प्रधानमंत्री (Prime Minister) के रूप में शपथ ली है। चुनावों में बीजेपी (BJP) बहुमत नहीं पा सकी, जिस कारण उन्हें एनडीए (NDA) गठबंधन के सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। दुनिया का मीडिया (Media) इसे एक दुर्लभ क्षण बता रहा है। नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के लॉन में शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिसमें भारत के कई पड़ोसी देशों के नेता शामिल हुए। भारतीय अरबपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी भी इसमें शामिल हुए। पद की शपथ लेने से पहले मुस्कुराते हुए मोदी ने भीड़ को प्रणाम किया। भीड़ उनके नाम का नारा लगा रही थी।’



रिपोर्ट ने इसे दुर्लभ मौका बताते हुए लिखा, ‘मोदी आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार पीएम बनने वाले भारत के पहले नेता हैं, उनकी पार्टी बीजेपी को चुनावों में 63 सीटों का नुकसान हुआ है, जो भारी जीत की भविष्यवाणी कर रहे एग्जिट पोल में नाटकीय कमी है।’ विश्लेषकों का हवाला देते हुए कहा गया कि पीएम मोदी को अब सरकार चलाने के लिए कूटनीतिक कौशल सीखने होंगे, राजनीतिक रूप से विवादास्पद सुधार योजनाओं को धीमा करना होगा और बीजेपी के हिंदू राष्ट्रवादी लक्ष्यों पर काबू पाना होगा।

क्या बोला पाकिस्तानी मीडिया
पाकिस्तानी मीडिया में भी पीएम मोदी के शपथ ग्रहण की चर्चा रही। पाकिस्तान के जियो न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘नरेंद्र मोदी रविवार को रेकॉर्ड लगातार तीसरी बार पीएम बने। गठबंधन के साथ वह सत्ता में आए हैं, जो उनकी क्षमता का परीक्षण करेगा। मोदी, जिन्होंने बीजेपी के वैचारिक अभिभावक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक के रूप में शुरुआत की, जवाहर लाल नेहरू के बाद प्रधानमंत्री के रूप में लगातार तीसरी बार सेवा देने वाले दूसरे व्यक्ति हैं।’

गठबंधन पर जताई जा रही चिंता
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘नरेंद्र मोदी ने एक चौंकाने वाले चुनावी झटके के बाद रविवार को तीसरे कार्यकाल के लिए भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देश में गठबंधन सरकार में नीति निश्चितता सुनिश्चित करने की उनकी क्षमता का परीक्षण होगा।’ यूएस की एबीसी न्यूज ने लिखा, ‘उनकी हिंदू राष्ट्रवादी बीजेपी ने 2014 और 2019 में भारी बहुमत से जीत हासिल की। नवीनतम राष्ट्रीय चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही। यह पहली बार है जब मोदी नेतृत्व में बीजेपी को संसद में बहुमत के लिए अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के समर्थन की जरूरत पड़ी।’ अल जजीरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘मोदी पर यह सुनिश्चित करने का भी दबाव है कि भारत की आर्थिक असमानता न बढ़े। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी। लेकिन घरेलू स्तर पर पर्याप्त नौकरियों की कमी, महंगाई, कम आय और धार्मिक फॉल्ट लाइन ने मतदाताओं को उन्हें रोकने को प्रेरित किया।’

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